ED Action: ईडी की जांच में यह भी खुलासा हुआ कि AJL और यंग इंडियन ने फर्जी डोनेशन, झूठे किराए और बनावटी विज्ञापनों के जरिए 85 करोड़ रुपये से अधिक की रकम इधर-उधर की.
ED Action: नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) की अटैच की गई संपत्तियों पर कब्जा लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. ईडी ने 11 अप्रैल 2025 को दिल्ली, मुंबई और लखनऊ के संपत्ति रजिस्ट्रारों को नोटिस जारी किए हैं. इसके साथ ही, मुंबई के हेराल्ड हाउस की 7वीं, 8वीं और 9वीं मंजिल पर किराएदार जिंदल साउथ वेस्ट प्रोजेक्ट्स लिमिटेड को भी नोटिस भेजा गया है, जिसमें उन्हें मासिक किराया अब ईडी को जमा करने का निर्देश दिया गया है.
₹988 करोड़ की काली कमाई का खुलासा
ईडी की जांच में सामने आया है कि इस मामले में करीब 988 करोड़ रुपये की काली कमाई उत्पन्न हुई है. इसी आधार पर 20 नवंबर 2023 को AJL की दिल्ली, मुंबई और लखनऊ में स्थित अचल संपत्तियों (₹661 करोड़) और AJL के शेयरों (₹90.21 करोड़) को अटैच किया गया था, जिनकी कुल कीमत ₹751.9 करोड़ है. यह अटैचमेंट आदेश 10 अप्रैल 2024 को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) की अधिकृत अदालत ने मंजूर कर लिया, जिसके बाद ईडी ने संपत्तियों पर कब्जे की प्रक्रिया शुरू की है.
सुब्रमण्यम स्वामी की शिकायत से शुरू हुआ मामला
इस पूरे विवाद की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी के नेता डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी की 2012 में दायर एक शिकायत से हुई थी. स्वामी ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड के जरिए सिर्फ 50 लाख रुपये देकर AJL की करीब 2000 करोड़ रुपये की संपत्तियों पर कब्जा कर लिया. स्वामी ने दावा किया कि यह एक आपराधिक साजिश थी, जिसमें धोखाधड़ी, विश्वासघात और धन की हेराफेरी शामिल थी.
ईडी की जांच में यह भी खुलासा हुआ कि AJL और यंग इंडियन ने फर्जी डोनेशन, झूठे किराए और बनावटी विज्ञापनों के जरिए 85 करोड़ रुपये से अधिक की रकम इधर-उधर की. जांच के अनुसार, इसमें 18 करोड़ रुपये फर्जी डोनेशन, 38 करोड़ रुपये एडवांस किराए और 29 करोड़ रुपये विज्ञापनों के जरिए अवैध रूप से जुटाए गए.
ईडी की जांच में क्या सामने आया?
ईडी ने अपनी जांच में पाया कि AJL को विभिन्न शहरों में समाचार पत्र प्रकाशन के लिए रियायती दरों पर जमीनें दी गई थीं हालांकि, 2008 में AJL ने प्रकाशन बंद कर दिया और इन संपत्तियों का इस्तेमाल व्यावसायिक कार्यों के लिए शुरू कर दिया. इसके अलावा, AJL पर ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी का 90.21 करोड़ रुपये का कर्ज था, जिसे AICC ने गैर-वसूली योग्य मानकर यंग इंडियन को मात्र 50 लाख रुपये में बेच दिया. ईडी का आरोप है कि यंग इंडियन के पास इतना भुगतान करने के लिए भी कोई आय का स्रोत नहीं था.
इसके बाद, यंग इंडियन ने AJL से या तो कर्ज की वसूली या AJL के इक्विटी शेयरों की मांग की. AJL ने एक असाधारण आम सभा बुलाकर अपने शेयर पूंजी को बढ़ाने और 90.21 करोड़ रुपये के नए शेयर यंग इंडियन को जारी करने का प्रस्ताव पारित किया. इससे AJL के 1000 से अधिक शेयरधारकों की हिस्सेदारी महज 1% रह गई, और AJL यंग इंडियन की सहायक कंपनी बन गई. इस तरह, यंग इंडियन ने AJL की संपत्तियों पर नियंत्रण हासिल कर लिया. ईडी का कहना है कि इस प्रक्रिया ने AJL के शेयरधारकों और कांग्रेस के दानदाताओं के साथ धोखा किया.
कानूनी कार्रवाई और अगले कदम
कांग्रेस ने इस कार्रवाई को “राजनीतिक प्रतिशोध” करार दिया है. पार्टी के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि इस मामले में कोई संपत्ति हस्तांतरण या धन की हेराफेरी नहीं हुई है, और कोई भी शिकायतकर्ता नहीं है जिसने धोखाधड़ी का दावा किया हो. उन्होंने इसे बीजेपी की “चुनावी हार से ध्यान भटकाने की रणनीति” बताया.
नेशनल हेराल्ड अखबार 1938 में जवाहरलाल नेहरू और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों ने शुरू किया था, जिसे AJL प्रकाशित करता था. 2008 में आर्थिक तंगी के कारण अखबार बंद हो गया. 2010 में यंग इंडियन ने AJL का अधिग्रहण किया, जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी की 76% हिस्सेदारी है. स्वामी की शिकायत के बाद 2014 में दिल्ली की एक अदालत ने इस मामले में संज्ञान लिया, जिसके आधार पर ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की.
आगे क्या?
ईडी की यह कार्रवाई नेशनल हेराल्ड मामले में अब तक की सबसे बड़ी कड़ी मानी जा रही है. संपत्तियों पर कब्जे की प्रक्रिया शुरू होने से यह मामला और तूल पकड़ सकता है. दूसरी ओर, कांग्रेस का कहना है कि वह इस “राजनीतिक साजिश” का कानूनी और राजनीतिक रूप से जवाब देगी. इस मामले में अगली सुनवाई और ईडी की चार्जशीट दाखिल होने पर और खुलासे हो सकते हैं.
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