Home National वक्फ संशोधन अधिनियम पर केंद्र ने SC में किया जवाब दाखिल, जानें हलफनामे में क्या कहा?

वक्फ संशोधन अधिनियम पर केंद्र ने SC में किया जवाब दाखिल, जानें हलफनामे में क्या कहा?

by Sachin Kumar
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Wakf Amendment Act 2025 Central Government gave answer

Wakf Amendment Act 2025 : केंद्र सरकार ने कहा है कि वक्फ परिषद या बोर्ड में अधिकतम सदस्य संख्या 22 है और उसमें 2 गैर-मुस्लिमों को भी शामिल किया गया है.

Wakf Amendment Act 2025 : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 (Wakf Amendment Act 2025) के खिलाफ दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र को नोटिस जारी किया था. इसी बीच केंद्र की मोदी सरकार ने हलफनामा दायर करके याचिकाओं को खारिज करने की मांग की. केंद्र ने अधिनियम पर स्टे लगाने का विरोध करते हुए कहा कि कानून में इस बात का प्रावधान है कि कोर्ट किसी वैधानिक प्रावधान पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोक नहीं लगाएंगी. कोर्ट सिर्फ अंतिम रूप से निर्णय लेगी. बता दें कि शीर्ष अदालत ने वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की एंट्री पर रोक लगा दी थी और अब केंद्र ने इस मामले में अपनी चुप्पी तोड़ने का काम किया है.

JPC के सुझावों के बाद कानून तैयार किया

केंद्र सरकार ने कहा है कि वक्फ परिषद या बोर्ड में अधिकतम सदस्य संख्या 22 है और उसमें 2 गैर-मुस्लिमों को शामिल किया गया है. यह एक ऐसा उपाय है जिसमें समावेशिता का प्रतिनिधित्व करता है और वक्फ प्रशासन में किसी तरह से हस्तक्षेप करने का करता है. केंद्र ने आगे कहा कि जानबूझकर या गलती से वक्फ संपत्तियों के रूप में उल्लिखित सरकारी भूमि की पहचान राजस्व रिकॉर्ड सही करने के लिए किया जा रहा है और किसी भी सरकारी जमीन को कोई भी एक धार्मिक समुदाय की संपत्ति घोषित नहीं किया जा सकता है. इसी बीच केंद्र की तरफ से कहा गया है कि संसद ने जो कानून बनाया है वह JPC में सलाह मशविरा के बाद बनाया गया है. सरकार ने कहा कि वक्फ कोई धार्मिक संस्था नहीं है बल्कि एक वैधानिक निकाय है.

केंद्र ने कानून को लेकर कही शानदार बात

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वक्फ संशोधन कानून के अनुसार मुतवल्ली का धर्म सेक्युलर होता है ना कि धार्मिक होता है. उन्होंने आगे कहा कि यह कानून जन प्रतिनिधियों को लक्षित करते हुए बनाया गया है और उन्होंने ही यह पार्लियामेंट में पारित किया है. इस बिल को लोकसभा में लाने से पहले संयुक्त संसदीय समिति की करीब 36 बैठकें हुईं और 97 लाख से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लेकर सुझाव दिया है. समिति ने देश के 10 बड़े शहरों का दौरा किया और लोगों के बीच में जाकर संवाद करके एक रिपोर्ट को तैयार किया गया है.

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