Tariff War : टैरिफ वार के बीच विश्व व्यापार संगठन ने आशंका जाहिर की है कि राष्ट्रपति ट्रंप की तरफ से दुनिया में कई देशों पर लगाए गए भारी टैरिफ की वजह से ग्लोबल ट्रेड में संकुचन देखने को मिल सकता है.
Tariff War : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (President Donald Trump) ने चीन पर 145 प्रतिशत से बढ़ाकर 245 फीसदी टैरिफ कर दिया है. अमेरिका और चीन के बीच में टैरिफ वार चरम पर पहुंचता जा रहा है और इससे दुनिया का शेयर मार्केट जमीन में गोते लगा रहा है. इस पर चीन ने भी दूसरे विकल्प की तलाश कर ली है. चीन के विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि अगर अमेरिका इस तरह टैरिफ गेम जारी रखता है तो वह उसको नजरअंदाज भी करता रहेगा और उस मुद्दे पर कोई ध्यान नहीं देगा. दूसरी तरफ एक अंग्रेजी समाचार पत्र ने रिपोर्ट दी है कि अमेरिका और चीन की टैरिफ वार का असर भारत के दाव उद्योग पर भी पड़ सकता है.
क्या वैश्विक व्यापार में संकुचन होगा
वहीं, विश्व व्यापार संगठन (WTO) ने आशंका जाहिर की है कि राष्ट्रपति ट्रंप की तरफ से दुनिया में कई देशों पर लगाए गए भारी टैरिफ की वजह से ग्लोबल ट्रेड में संकुचन देखने को मिल सकता है. बताया जा रहा है कि यह संकुचन सबसे पहले उत्तर अमेरिका (अमेरिका, मैक्सिको एवं कनाडा) में हो सकता है. दूसरी तरफ चीन ने कहा है कि यह अब अमेरिका के ऊपर निर्भर करता है कि वह 245 फीसदी सीमा शुल्क का फिर से विश्लेषण करे. इसके अलावा चीन ने अमेरिका को टैरिफ के माध्यम से दबाव डालने से बाज आने को कहा है. इसी बीच ग्रीनलैंड के विदेश मंत्री ने कहा है कि वह चीन के साथ गहरे संबंधों को भी स्थापित करने की पूरी कोशिश कर रहा है और दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते की संभावना है.
चीन को छोड़कर सभी देशों को राहत
बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने दो हफ्ते पहले जब दुनिया भर के देशों पर अतिरिक्त शुल्क लगाने की घोषणा की थी, उसके बाद दर्जनों देशों पर लगाए गए उच्च रेसिप्रोकल टैरिफ को वापस लेने का फैसला किया था जबकि चीन पर इसे प्रभावी ढंग से लागू करने का एलान किया था. वहीं, यूरोपीय संघ ने कहा है कि अमेरिका पर लगाए टैरिफ जारी रहेंगे क्योंकि उस मामले में चल रही बातचीत में किसी प्रकार की प्रगति नहीं हुई है. चीन ने अमेरिकी कंपनियों से हवाई जहाज के कल-पुर्जों की खरीद को भी रोक दिया है. वहीं, बीजिंग ने अमेरिका पर अभी तक कोई भी जवाबी कार्रवाई नहीं की है. लेकिन चीन ने अमेरिकी वस्तुओं पर अपने स्वयं के शुल्क बढ़ा दिए हैं और बातचीत की किसी भी स्तर पर मांग नहीं की है. चीन का स्पष्ट कहना है कि बातचीत केवल पारस्परिक सम्मान और समानता के आधार पर की जाएगी.
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