Home National श्रीमद्भगवद्गीता और नाट्यशास्त्र को यूनेस्को की वैश्विक धरोहर मान्यता, पीएम मोदी ने जताया गर्व

श्रीमद्भगवद्गीता और नाट्यशास्त्र को यूनेस्को की वैश्विक धरोहर मान्यता, पीएम मोदी ने जताया गर्व

by Rishi
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Bhagavad Gita Recognized By UNESCO

Bhagavad Gita Recognized By UNESCO: प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए लिखा, “दुनिया भर के हर भारतीय के लिए यह गर्व का क्षण है!

Bhagavad Gita Recognized By UNESCO: भारत की सांस्कृतिक और दार्शनिक विरासत को वैश्विक मंच पर एक और गौरवपूर्ण पहचान मिली है. यूनेस्को ने श्रीमद्भगवद्गीता और भरत मुनि द्वारा रचित नाट्यशास्त्र को अपनी प्रतिष्ठित ‘मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर’ में शामिल किया है. इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुशी जाहिर करते हुए इसे हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण बताया. 17 अप्रैल, 2025 को यूनेस्को ने 74 नई एंट्रीज को इस रजिस्टर में जोड़ा. जिसके साथ कुल संग्रहों की संख्या 570 हो गई है. भारत की ये दोनों कृतियां अब विश्व की अमूल्य दस्तावेजी धरोहर का हिस्सा बन चुकी हैं.

पीएम मोदी ने जताया गर्व

प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए लिखा, “दुनिया भर के हर भारतीय के लिए यह गर्व का क्षण है! गीता और नाट्यशास्त्र का यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल होना हमारी शाश्वत बुद्धिमत्ता और समृद्ध संस्कृति की वैश्विक मान्यता है. इन ग्रंथों ने सदियों से सभ्यता और चेतना को पोषित किया है और उनकी अंतर्दृष्टि आज भी विश्व को प्रेरित करती है.”

क्यों चुनी गई दोनों कृतियां

श्रीमद्भगवद्गीता महाभारत के भीष्मपर्व का हिस्सा है और भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के बीच संवाद के रूप में विश्वविख्यात है. यह ग्रंथ धर्म, कर्म, नैतिकता और आध्यात्मिकता के गहन दर्शन को प्रस्तुत करता है, जो न केवल भारत बल्कि विश्व भर के लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहा है. दूसरी ओर, नाट्यशास्त्र भारतीय कला और संस्कृति का आधारभूत ग्रंथ है. भरत मुनि द्वारा रचित यह कृति नृत्य, नाटक और संगीत के सिद्धांतों को व्यवस्थित करती है, जिसने भारतीय शास्त्रीय कलाओं को आकार दिया.

भारत की 14 धरोहरें अब इस अंतरराष्ट्रीय रजिस्टर में शामिल

केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी इस उपलब्धि को ‘भारत की सभ्यतागत विरासत के लिए ऐतिहासिक क्षण’ करार दिया. उन्होंने कहा, “ये कृतियां केवल साहित्यिक खजाने नहीं हैं, बल्कि दार्शनिक और सौंदर्यबोध की आधारशिलाएं हैं, जिन्होंने भारत के विश्वदृष्टिकोण को आकार दिया.” इस सम्मान के साथ, भारत की 14 धरोहरें अब इस अंतरराष्ट्रीय रजिस्टर में शामिल हो चुकी हैं.

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