अपतटीय गश्ती जहाजों के निर्माण में यह उपलब्धि एक महत्वपूर्ण पल है, जो भारत की स्वदेशी जहाज निर्माण क्षमताओं को और अधिक दर्शाता है.
New Delhi: भारत ने स्वदेशी जहाज निर्माण के क्षेत्र में एक कदम और बढ़ा दिया है, जो आत्मनिर्भर भारत की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है. भारत ने शुक्रवार को अपतटीय गश्ती पोत यार्ड के निर्माण कार्य का शुभारंभ किया. इस गश्ती पोत यार्ड का उपयोग समुद्री तटों की रक्षा एवं निगरानी, खोज एवं बचाव कार्यों और समुद्री डकैती विरोधी अभियानों के लिए किया जाएगा.चौथे अपतटीय गश्ती पोत यार्ड- 3040 के निर्माण कार्य का शुभारंभ समारोह का आयोजन 24 अप्रैल को कोलकाता में गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (जीआरएसई) में किया गया.

इस अवसर पर जीआरएसई के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक कमोडोर पीआर हरि (सेवानिवृत्त) के साथ भारतीय नौसेना और शिपयार्ड के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे. अपतटीय गश्ती जहाजों के निर्माण में यह उपलब्धि एक महत्वपूर्ण पल है, जो भारत की स्वदेशी जहाज निर्माण क्षमताओं को और अधिक दर्शाता है.
समुद्री डकैती विरोधी अभियानों के लिए भी किया जाएगा उपयोग
11 अपतटीय गश्ती जहाजों (एनजीओपीवी) के स्वदेशी डिजाइन और निर्माण के लिए 30 मार्च को गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल),गोवा और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई), कोलकाता के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे. लगभग तीन हजार टन के भार वाले अपतटीय गश्ती जहाजों को तटीय रक्षा एवं निगरानी, खोज एवं बचाव कार्यों, अपतटीय संपत्तियों की सुरक्षा और समुद्री डकैती विरोधी अभियानों के लिए निर्मित किया गया है. यह कार्य समग्र परियोजना समय सीमा में एक अहम मील का पत्थर है.

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