Home National ‘खून और पानी एक साथ नहीं चल सकता’, भारत ने बताई सिंधु जल समझौता निलंबित करने की वजह

‘खून और पानी एक साथ नहीं चल सकता’, भारत ने बताई सिंधु जल समझौता निलंबित करने की वजह

by Rishi
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Indus Waters Treaty

Indus Waters Treaty: भारत की जल संसाधन सचिव देबाश्री मुखर्जी ने अपने पाकिस्तानी समकक्ष सैयद अली मुर्तजा को लिखे पत्र में इस फैसले का विस्तृत ब्योरा दिया.

Indus Waters Treaty: भारत ने गुरुवार को एक ऐतिहासिक और सख्त कदम उठाते हुए पाकिस्तान को आधिकारिक तौर पर सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने के अपने फैसले की जानकारी दी. भारत का यह निर्णय पाकिस्तान द्वारा संधि की शर्तों के कथित उल्लंघन और जम्मू-कश्मीर में सीमापार आतंकवाद को बढ़ावा देने के जवाब में लिया गया है. इस कदम ने दोनों देशों के बीच तनाव को और गहरा कर दिया है, जिसके बाद पाकिस्तान ने इसे “युद्ध छेड़ने के समान” करार देते हुए भारत के खिलाफ कई जवाबी कदमों की घोषणा की है.

सीमापार से नहीं थम रहा आतंकवाद

भारत की जल संसाधन सचिव देबाश्री मुखर्जी ने अपने पाकिस्तानी समकक्ष सैयद अली मुर्तजा को लिखे पत्र में इस फैसले का विस्तृत ब्योरा दिया. पत्र में कहा गया है कि पाकिस्तान द्वारा जम्मू-कश्मीर में लगातार सीमापार आतंकवाद को बढ़ावा देने से भारत के संधि के तहत अधिकारों का उपयोग करने की क्षमता बाधित हो रही है. न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार, पत्र में स्पष्ट किया गया, “पाकिस्तान की ओर से सीमापार आतंकवादी गतिविधियों को लगातार जारी रखा गया है, जिसके परिणामस्वरूप सुरक्षा अनिश्चितताएं पैदा हुई हैं. यह भारत के संधि के तहत जल संसाधनों के उपयोग और प्रबंधन की क्षमता को सीधे प्रभावित करता है.”

भारत ने यह भी तर्क दिया कि 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता में हस्ताक्षरित सिंधु जल संधि के तहत दोनों देशों को अपने दायित्वों का पालन करना अनिवार्य है. हालांकि, पाकिस्तान द्वारा बार-बार आतंकवादी गतिविधियों को समर्थन देने और संधि के तहत सहयोग की कमी ने भारत को यह कठोर कदम उठाने के लिए मजबूर किया.

पाकिस्तान की तीखी प्रतिक्रिया

पाकिस्तान ने भारत के इस फैसले को “उकसावेपूर्ण” और “युद्ध के समान” करार दिया है. पाकिस्तानी अधिकारियों ने दावा किया कि सिंधु जल संधि के तहत पाकिस्तान को मिलने वाले पानी के प्रवाह में किसी भी तरह की बाधा या परिवर्तन को युद्ध की घोषणा माना जाएगा. इस्लामाबाद ने भारत के साथ सभी द्विपक्षीय समझौतों, जिसमें 1972 का शिमला समझौता भी शामिल है, को निलंबित करने की घोषणा की. इसके अलावा, पाकिस्तान ने भारत के साथ व्यापार, वाघा सीमा पारगमन, और हवाई क्षेत्र के उपयोग को तत्काल प्रभाव से बंद करने का ऐलान किया.

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस मुद्दे पर राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (NSC) की एक उच्चस्तरीय बैठक बुलाई, जिसमें तीनों सेना प्रमुखों और प्रमुख मंत्रियों ने हिस्सा लिया. बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया, “पाकिस्तान भारत के साथ सभी द्विपक्षीय समझौतों को निलंबित करने के अपने अधिकार का प्रयोग करेगा. वाघा सीमा चौकी को तत्काल प्रभाव से बंद किया जाएगा, और भारत से कोई भी सीमा पार पारगमन बिना किसी अपवाद के निलंबित रहेगा.” बयान में यह भी स्पष्ट किया गया कि जो लोग वैध अनुमोदन के साथ सीमा पार कर चुके हैं, वे 30 अप्रैल तक वाघा मार्ग से वापस आ सकते हैं, लेकिन इसके बाद यह सुविधा भी बंद हो जाएगी.

पहलगाम हमला और बढ़ा तनाव

हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले ने दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ा दिया. भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठनों को जिम्मेदार ठहराया और इसे सिंधु जल संधि के निलंबन का एक प्रमुख कारण बताया. भारत ने यह भी कहा कि पाकिस्तान द्वारा बार-बार संधि के तहत गठित स्थायी सिंधु आयोग (Permanent Indus Commission) के कार्यों में बाधा डाली गई है, जिससे जल संसाधनों के प्रबंधन में सहयोग असंभव हो गया है.

क्यों अहम है सिंधु जल समझौता

सिंधु जल संधि 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हस्ताक्षरित एक ऐतिहासिक समझौता है, जो सिंधु नदी और इसकी सहायक नदियों (झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास, और सतलुज) के जल के बंटवारे को नियंत्रित करता है. इसके तहत, रावी, ब्यास, और सतलुज नदियों का पानी मुख्य रूप से भारत के उपयोग के लिए है, जबकि सिंधु, झेलम, और चिनाब नदियों का पानी पाकिस्तान को आवंटित किया गया है. यह संधि दशकों तक दोनों देशों के बीच जल संसाधनों के प्रबंधन का आधार रही है, लेकिन हाल के वर्षों में दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर संधि के उल्लंघन का आरोप लगाया है.

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

भारत के इस फैसले ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित किया है. विश्व बैंक, जो इस संधि का मध्यस्थ है, उसने दोनों देशों से संयम बरतने और बातचीत के जरिए विवाद सुलझाने की अपील की है. संयुक्त राष्ट्र ने भी स्थिति पर नजर रखने की बात कही है, जबकि कुछ विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यह कदम दक्षिण एशिया में स्थिरता को प्रभावित कर सकता है.

ये भी पढ़ें..शिमला समझौता क्या है? जानिए क्या है पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान की धमकी का महत्व ?

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