Home National ‘दिसंबर तक कीजिए काम, उसके बाद फिर..’, पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती में SC ने दी बड़ी राहत

‘दिसंबर तक कीजिए काम, उसके बाद फिर..’, पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती में SC ने दी बड़ी राहत

by Rishi
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Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता में गठित बैंच ने आदेश में ये भी शर्त रखी है कि राज्य सरकार 31 मई तक नई भर्ती का विज्ञापन निकाले.

Supreme Court: पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले को लेकर बवाल छिड़ा हुआ है. सीएम ममता बनर्जी ने कहा था कि मेरे रहते किसी भी शिक्षक की नौकरी नहीं जा सकती है. इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में शिक्षकों को बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने जारी आदेश में कहा कि अकादमिक सत्र जारी रहने का आधार पर कक्षा 9वीं से 10वीं तक के शिक्षकों को कुछ समय तक नौकरी पर रहने की छूट दी जा रही है. लेकिन इसमें भी कोर्ट ने ये स्पष्ट किया कि ग्रुप सी और ग्रुप डी कर्मचारियों को कोई भी रियायत नहीं दी जाएगी.

राज्य सरकार 31 मई तक नई भर्ती का विज्ञापन निकाले: सुप्रीम कोर्ट

जानकारी के लिए बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता में गठित बैंच ने आदेश में ये भी शर्त रखी है कि राज्य सरकार 31 मई तक नई भर्ती का विज्ञापन निकाले. इसके साथ ही ये भी निर्देशित किया गया है कि नई नियुक्तियों को 31 दिसंबर तक हो जाना चाहिए. यदि राज्य सरकार ये नहीं कर पाती है तो कोर्ट इस मामले में सख्ती से निपटेगा.

एक ही झटके में चली गई थी 25000 लोगों की नौकरी

गौर करने वाली बात ये है कि 3 अप्रैल 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला दिया था कि पश्चिम बंगाल में हुई 25000 से ज्यादा शिक्षक भर्ती और स्कूल कर्मचारियों की नियुक्ति को रद्द कर दिया जाए. इसके आधार पर एक ही झटकों में हजारों शिक्षकों और कर्मचारियों की नौकरी चली गई थी. लेकिन इसके बाद राज्य सरकार ने छात्रों के चल रहे अकादमिक सत्र का हवाला देते हुए अनुरोध किया था कि शिक्षकों को फिलहाल काम करने की अनुमति दे दी जाए.

2016 में हुई नियुक्तयों पर कोर्ट ने क्या कहा था

पश्चिम बंगाल में साल 2016 में स्कूल सर्विस कमीशन के जरिए एक भर्ती परीक्षा आयोजित की गई थी. इसमें 23 लाख परीक्षार्थियों ने भाग लिया था. इस परीक्षा के बाद 25000 लोगों को नौकरी मिली थी. आरोप है कि इस भर्ती में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ था. सुप्रीम कोर्ट में ये मामला चल रहा था जिसपर कोर्ट ने कहा था कि 2016 में की गई ये नियुक्तियां पूरी तरह से जोड़-तोड़ और धोके के आधार पर हुई थी. जिसके बाद इनको कोर्ट ने रद्द करने का फैसला सुनाया था.

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