Home Latest ‘बड़े राज्य शासन और लोकतांत्रिक जवाबदेही के लिए बड़ी चुनौती’ अंबेडकर ने क्यों कही थी स्टेट बांटने की मांग?

‘बड़े राज्य शासन और लोकतांत्रिक जवाबदेही के लिए बड़ी चुनौती’ अंबेडकर ने क्यों कही थी स्टेट बांटने की मांग?

by Sachin Kumar
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Dr. Ambedkar 134th Birth Anniversary

Dr. Ambedkar 134th Birth Anniversary : भाषाई आधार पर राज्यों की बांटने का समर्थन करते हुए बाबा साहब ने कहा था कि बड़े राज्यों में विकास करने में काफी समय लगता है. इसलिए छोटे राज्य बनाए जाने चाहिए.

Dr. Ambedkar 134th Birth Anniversary : भारतीय संविधान के निर्माता डॉ. बीआर अंबेडकर (Dr. BR Ambedkar) ने देश की अर्थव्यवस्था और राजनीति पर अपनी गहरी छाप छोड़ी थी. यह बात इसलिए कही जाती है क्योंकि अकादमिक से लेकर मुख्य राजनीति में उनकी बातों का संदर्भ लिया जाता है. उन्होंने अपनी कई रिसर्च के माध्यम से भारत की समस्याओं पर केंद्र सरकार का ध्यान दिलाने की कोशिश की थी जिसमें से एक थी बड़े राज्यों को छोटे हिस्सों में बांटना. डॉ. अंबेडकर का मानना था कि बड़े राज्य शासन और लोकतांत्रिक जवाबदेही के लिए गंभीर चुनौतियां पेश करते हैं.

छोटे राज्यों का समान विकास पर ध्यान रहेगा

बाबा साहब ने था कि बड़े राज्यों के मुकाबले छोटे स्टेट ज्यादा प्रबंधनीय होते हैं और समान विकास पर अधिक फोकस करते हैं. साथ ही सरकार की योजनाओं का लाभ ज्यादा से ज्यादा लोग उठा पाते हैं. डॉ. अंबेडकर ने साल 1955 में अपनी किताब में ‘भाषाई राज्यों पर विचार’ में उन्होंने बिहार और मध्य प्रदेश जैसे बड़े प्रांतों के विभाजन पर जोरदार वकालत की थी और बाबा साहब ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि वर्तमान समय में यह दोनों प्रांत काफी बड़े हैं और प्रशासन योग्य नहीं है. इसके अलावा डॉक्टर अंबडेकर भाषाई आधार पर राज्यों के निर्माण के सबसे प्रबल समर्थक थे. साथ ही बड़े राज्य बनाने के लिए के खिलाफ थे.

बिहार-MP को बांटना चाहते थे बाबा साहब

उन्होंने यह भी कहा था कि बड़े भाषाई राज्यों का विचार किसी भी स्तर पर लोकतांत्रिक नहीं है और यह लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों से स्पष्ट रूप से अलग है. बाबा साहब ने किताब में लिखा कि यह लोकतंत्र के विचार से पूरी तरह से असंगत विचार है. उन्होंने सुझाव दिया कि राज्यों को न केवल प्रशासनिक दक्षता के लिए विभाजित किया जाना चाहिए. साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना जरूरी है कि हास्य पर पड़े समाज को यह कतई महसूस न हो कि वह मुख्यधारा के विकास से काफी दूर है और उसे सरकार की योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल पाता है. अंबेडकर ने सुझाव दिया कि बिहार को दो राज्यों में विभाजित कर देना चाहिए और इसी तरह मध्य प्रदेश को भी दो हिस्सों में बांट देना चाहिए.

UP को 3 हिस्सों में बांटने का दिया था सुझाव

इसके बाद साल 2000 में बिहार से झारखंड राज्य बनाया गया और मध्य प्रदेश में से छत्तीसगढ़ राज्य बनाया गया. इसके अलावा बाबा साहब ने अपनी किताब ‘भाषाई राज्यों पर विचार’ में सुझाव दिया है कि उत्तर प्रदेश को तीन राज्यों में विभाजित कर देना चाहिए. साथ ही बताया कि इन तीनों राज्यों की राजधानी मेरठ, कानपुर और इलाहाबाद (प्रयागराज) हो सकती है. वहीं, साल 2011 यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री और BSP सुप्रीमो मायावती ने बेहतर प्रशासन के लिए उत्तर प्रदेश में को चार भागों पूर्वांचल (पूर्वी उत्तर प्रदेश), पश्चिम प्रदेश (पश्चिमी उत्तर प्रदेश), बुंदेलखंड और अवध (मध्य उत्तर प्रदेश) में बांटने का प्रस्ताव रखा था. हालांकि, केंद्र की यूपीए सरकार ने प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया. वहीं, अंबेडकर ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि छोटे राज्य नागरिकों को सार्वजनिक व्यय और शासन पर अधिक नियंत्रण रखने की अनुमति देंगे.

यह भी पढ़ें- भीमराव अंबेडकर की जयंती पर उनके ये विचार आज भी देते हैं प्रेरणा, बदल देंगे आपकी सोच

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