राज्य से होने वाले प्रमुख निर्यातों में मांस, परिधान, जूते, मोती और कीमती पत्थर, कालीन, फर्नीचर, एल्युमीनियम उत्पाद, चमड़ा उत्पाद, कार्बनिक रसायन, प्लास्टिक और अनाज आदि हैं.
Lucknow : उत्तर प्रदेश निर्यात को बढ़ावा देने और नए बाजारों और उत्पादों का दोहन करके अगले पांच वर्षों में राज्य से निर्यात को तिगुना करके 5 लाख करोड़ रुपये से अधिक करने की नीति पर काम कर रहा है. उत्तर प्रदेश सरकार 2025-30 के लिए एक नई निर्यात नीति पर काम कर रही है. उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास और निर्यात प्रोत्साहन मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने बताया कि निर्यात को तीन गुना बढ़ाया जाएगा, जिसमें पूंजी सब्सिडी और निर्यातकों के लिए रियायतें शामिल हैं.
मसौदा नीति में सर्वोत्तम प्रथाओं को किया गया है शामिलः नंदी
मंत्री ने कहा कि देशभर में विभिन्न सरकारों की निर्यात नीतियों का व्यापक अध्ययन किया गया है और मसौदा नीति में सर्वोत्तम प्रथाओं को शामिल किया है. उदाहरण के लिए, उन्होंने कहा, प्रस्तावित नीति में निर्यात बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए निवेशकों को पूंजी सब्सिडी के रूप में 10 करोड़ रुपये तक प्रदान करने का प्रावधान है.
प्रीमियम के भुगतान के लिए मिलेगी 5 लाख रुपये तक की सहायता
निर्यातकों को भारतीय निर्यात ऋण गारंटी निगम (ईसीजीसी) के तहत वार्षिक प्रीमियम के भुगतान के लिए 5 लाख रुपये तक की सहायता भी प्रदान की जाएगी. इसमें प्रत्येक निर्यातक इकाई को मौजूदा नीति में 16 लाख रुपये की तुलना में हर साल 25 लाख रुपये की सहायता बढ़ाने की भी योजना है. नई नीति से निर्यातकों को गेटवे पोर्ट तक माल के परिवहन के लिए हर साल 30 लाख रुपये तक का प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है. राज्य से होने वाले प्रमुख निर्यातों में विद्युत मशीनरी, मांस, परिधान, जूते, मोती और कीमती पत्थर, कालीन, फर्नीचर, एल्युमीनियम उत्पाद, चमड़ा उत्पाद, कार्बनिक रसायन, प्लास्टिक और अनाज आदि शामिल हैं.
योगी सरकार का मानना है कि सूबे में निर्यात को बढ़ावा देने के लिए उचित माहौल है. निर्यात से राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी. निवेशकों को सरकार की तरफ से काफी प्रोत्साहन भी दिए जाएंगे. राज्य में अधिक से अधिक निवेशक आएं, इसके लिए राज्य सरकार काफी सुविधाएं भी देगी.
ये भी पढ़ेंः दिल्ली में आयुष्मान वय वंदना योजना शुरू, 70 साल से अधिक के नागरिकों को मिलेगा 10 लाख तक का फ्री इलाज