Murshidabad Violence: मुर्शिदाबाद हिंसा की जांच के लिए पश्चिम बंगाल पुलिस ने पहले ही एक विशेष जांच दल का गठन किया है, जिसमें 9 पुलिस अधिकारी शामिल हैं.
Murshidabad Violence: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ संशोधन अधिनियम के विरोध में हुई हिंसा के मामले में पुलिस की कार्रवाई लगातार जारी है. सोमवार, 21 अप्रैल 2025 को बंगाल पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने ओडिशा के झारसुगुड़ा जिले से 8 लोगों को गिरफ्तार किया है. ये सभी आरोपी मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा में शामिल थे, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हुए थे. गिरफ्तार किए गए लोगों में जियाउल हक के दो बेटे भी शामिल हैं, जो जफराबाद में एक व्यक्ति और उसके बेटे की हत्या के मामले में मुख्य आरोपी हैं.
मजदूर बनकर छिपे थे आरोपी
जानकारी के मुताबिक, पकड़े गए सभी आठ आरोपी ओडिशा के बनहरपाली थाना क्षेत्र में मजदूरी का काम कर रहे थे. पुलिस सूत्रों के अनुसार, ईद के बाद ये लोग मुर्शिदाबाद गए थे, जहां उन्होंने 10-12 अप्रैल को वक्फ संशोधन अधिनियम के विरोध में हुए हिंसक प्रदर्शन में हिस्सा लिया. इस दौरान उन्होंने तोड़फोड़, लूटपाट और आगजनी की घटनाओं को अंजाम दिया. हिंसा के बाद ये आरोपी वापस झारसुगुड़ा लौट आए और मजदूर बनकर काम करने लगे, ताकि पुलिस की नजरों से बच सकें. हालांकि, बंगाल पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने खुफिया जानकारी के आधार पर इन्हें धर दबोचा.
हिंसा में बांग्लादेशी कनेक्शन की भी जांच
मुर्शिदाबाद हिंसा की जांच के लिए पश्चिम बंगाल पुलिस ने पहले ही एक विशेष जांच दल का गठन किया है, जिसमें 9 पुलिस अधिकारी शामिल हैं. इस हिंसा में अब तक 315 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. सूत्रों के अनुसार, इस हिंसा में बांग्लादेशी कट्टरपंथी संगठनों का हाथ होने की आशंका जताई गई है, और कुछ स्थानीय राजनीतिक नेताओं की संलिप्तता की भी जांच की जा रही है. भारत-बांग्लादेश सीमा पर बीएसएफ को भी सतर्क कर दिया गया है ताकि अवैध घुसपैठ को रोका जा सके.
हिंसा ने मचाया था तांडव
गौरतलब है कि 10-12 अप्रैल के बीच मुर्शिदाबाद के सुती, धुलियान और जंगीपुर इलाकों में वक्फ संशोधन अधिनियम के विरोध में हिंसक प्रदर्शन हुए थे। इस दौरान उपद्रवियों ने सैकड़ों घरों और दुकानों में तोड़फोड़, लूटपाट और आगजनी की। हिंसा में तीन लोगों की मौत हुई, जिनमें जफराबाद में एक पिता-पुत्र की हत्या भी शामिल है। इसके अलावा 15 पुलिसकर्मी घायल हुए और कई हिंदू परिवारों को पलायन करना पड़ा। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार ने 1600 जवानों को तैनात किया, जिनमें 300 बीएसएफ जवान शामिल हैं।
सियासी बयानबाजी भी तेज
इस मामले ने सियासी रंग भी ले लिया है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि यह हिंसा भाजपा और केंद्रीय एजेंसियों की साजिश थी, जबकि विपक्षी दलों ने ममता सरकार को कानून-व्यवस्था बनाए रखने में नाकाम बताया. बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी ने इस मामले की जांच एनआईए से कराने की मांग की है. इस बीच, कलकत्ता हाईकोर्ट ने हिंसा प्रभावित इलाकों में केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश दिया था और पीड़ितों के पुनर्वास की निगरानी करने की बात कही है.
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