गर्मी का मौसम है, सूरज की तपिश लगातार तीखी होती जा रही है. ऐसे में छत्तीसगढ़ भी भीषण जल संकट से जूझ रहा है. जल संकट भी ऐसा की राजधानी से सटे एक गांव में कोई अपनी लड़की की शादी तक नहीं करना चाहता, जिनके रिश्ते हुए वे टूट गए.
Chhattisgarh: सूरज की तपिश लगातार तीखी होती जा रही है. ऐसे में छत्तीसगढ़ भी भीषण जल संकट से जूझ रहा है. जल संकट भी ऐसा कि राजधानी से सटे एक गांव में कोई अपनी लड़की की शादी तक नहीं करना चाहता. जिनके रिश्ते हुए वे टूट गए. लड़की वालों ने फरमान सुना दिया कि पानी नहीं तो शादी नहीं. ऐसे में सरकार की तमाम योजनाएं पानी मांगती नज़र आ रही हैं.
रीवा गांव छत्तीसगढ़ का कोई दूर दराज के नक्सल प्रभावित गांव नहीं है. बल्कि राजधानी रायपुर से सटा हुआ गांव है. लेकिन यहां का जलसंकट दो दशक पुराना है. हालात ये है कि इस गांव के लड़कों की शादी तक नहीं हो पा रही है. क्योंकि कोई भी इस गांव मे अपनी लड़की नहीं देना चाहता. ताज़ा मामला गांव के ही अक्षय डेहरिया के साथ हुआ. अक्षय को देखने लड़की वाले आए. परिवार ने मेहमानों की खूब आवभगत की लेकिन जैसे ही लड़की वालों को पता चला कि इस गांव में भीषण जल संकट है तो लड़की वालों ने शादी करने से साफ इंकार कर दिया. इसके चलते पूरा परिवार बेहद दुःखी है.

गांव में पानी के लिए जद्दोजहद सुबह तीन बजे से ही हो जाती है शुरू
परिवार अब सरकार से घर मे ट्यूबवेल लगवाने की मांग कर रहा है.इस गांव में अक्षय जैसे बहुत लड़के हैं जिनकी शादी सिर्फ इसलिए नहीं हो पा रही क्योंकि गांव में पानी नहीं है. पीने का पानी लेने गांव के लोगों को 2-3 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. पानी की ये जद्दोजहद हर दिन सुबह 3 बजे से शुरू हो जाती है. गांव वालों के मुताबिक इस गांव में पेयजल की समस्या करीब 2 दशक पुरानी है. इस दौरान इस क्षेत्र से छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्री शिव डेहरिया और केंद्रीय मंत्री रमेश बैस भी रहे. लेकिन वोट लेने के बाद किसी भी जनप्रतिनिधि ने इस गांव की तरफ पलटकर दोबारा नहीं देखा.

आमतौर पर लोगों की सुबह की शुरुआत मॉर्निंग वॉक या पूजापाठ से होती है लेकिन रीवा गांव के लोगों की सुबह पीने के पानी के इंतजाम की चिंता के साथ होती है. इस गांव के घर घर से सुबह 3 बजे सायकिल और मोटरसाइकिल पानी की कुप्पियां लेकर रवाना हो जाती है. लोग करीब 2-3 किलोमीटर दूर के गांव कुकरा से पानी लाने को मजबूर हैं. यहां सरकार की विकास योजनाएं नहीं पहुंच पाई हैं. बल्कि ये गांव राजधानी से सटा हुआ है इसलिए सरकार की नल-जल योजना यहां भी पहुंची, गांव में नल भी लगे, लेकिन पानी नहीं आया. ग्रामीणों के मुताबिक नल-जल योजना का काम भी सालों से अधूरा पड़ा है.
प्रदेश के जल संसाधन मंत्री और उपमुख्यमंत्री अरुण साव के मुताबिक प्रदेश में भीषण जल संकट जैसी कोई स्थिति नहीं है. कहीं कहीं पेयजल की समस्या जरूर है उसे जल्द ही दुरुस्त कर दिया जाएगा. बीजेपी विधायक खुशवंत का कहना है कि जल्द ही गांव मे पानी पहुंचाया जाएगा.
सामाजिक तिरस्कार का कारण बन रही जल संकट
कुल मिलाकर रीवा गांव की पेयजल की समस्या से सरकार और जनप्रतिनिधि कितने गंभीर है यह तो साफ जाहिर हो ही रहा है लेकिन गांव वालों की पानी की ये जद्दोजहद अब सामाजिक तिरस्कार का कारण भी बन रही है. पेयजल की समस्या के चलते शादी टूटना सिर्फ गांव वालों के लिए नहीं बल्कि विकास के बड़े बड़े दावे करने वाली प्रदेश सरकार के लिए भी शर्मिंदगी का सबब बन रही है.
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- रायपुर से श्रीप्रकाश तिवारी की रिपोर्ट