Home Sports नशे से बचने के लिए साउथ अफ्रीका की ‘झुग्गी’ के बच्चे सीख रहे हैं ‘क्रिकेट’

नशे से बचने के लिए साउथ अफ्रीका की ‘झुग्गी’ के बच्चे सीख रहे हैं ‘क्रिकेट’

by Preeti Pal
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Gary Kirsten - Live Times

15 February 2024

क्रिकेट ने बदली केपटाउन की बस्ती के बच्चों की जिंदगी

‘खयेलित्शा’ साउथ अफ्रीका में सबसे बड़ी और सबसे तेज़ी से बढ़ती हुई बस्ती है। दुनिया की सबसे बड़ी झुग्गियों में शामिल खयेलित्शा के बच्चे गैंगवार, गरीबी और ड्रग्स की लत से बचने के लिए क्रिकेट सीख रहे हैं। आपको बता दें उन्हें क्रिकेट सिखाने वाले और कोई नहीं बल्कि भारत को 2011 वर्ल्ड कप जिताने वाले कोच गैरी कर्स्टन हैं। अश्वेत बच्चों को बराबरी का दर्जा दिलाने और खेलों में समान मौके मुहैया कराने की ये अनूठी पहल ‘गुरू गैरी’ की ही है। उन्होंने कई बच्चों की जिंदगी बदली है।

नन्हें खिलाड़ी कोहली के फैन

दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन से लगभग 30 किलोमीटर दूर खयेलित्शा दुनिया की 5 सबसे बड़ी झुग्गी बस्तियों में से एक है। ड्रग्स के कारण इस बस्ती को सबसे असुरक्षित इलाकों में गिना जाता है। वहां रहने वाले 15 साल के बच्चे ‘लुखोलो मालोंग’ ने एक इंटर्व्यू में बताया है कि- ‘वो विराट कोहली को प्रेरणा मानते हैं।’ मालोंग का कहना है कि वो अपने देश दक्षिण अफ्रीका के लिए खेलना चाहते हैं। विराट कोहली से उन्हें कड़ी मेहनत और कुछ कर दिखाने का जुनून सीखने को मिलता है। लुखोलो मालोंग ने विराट के बारे में बात करते हुए आगे कहा- ‘मैंने उन्हें केपटाउन में मैदान पर देखा है। एक दिन मैं उनसे मिलना चाहूंगा।’

लाखों लोग रहते हैं यहां

आपको बता दें दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के दौरान अश्वेतों को शहर से बाहर करने की हिदायत दी गई। इसी दौरान 1983 में खयेलित्शा बसाया गया। इसमें 25 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं और 99.5% अश्वेत हैं जिनका जीवन संघर्ष से भरा हुआ है। ऐसे में नशे और अपराध का बुरा साया बचपन से ही बच्चों पर पड़ जाता है। कर्स्टन ने बताया कि ‘जब वो भारत से आए तो केपटाउन में सबसे गरीब इस इलाके का दौरा किया। इसके बाद उन्होंने 2 स्कूलों से शुरूआत की जिनकी गिनती आगे चलकर 5 स्कूलों तक पहुंच गई।’ वहीं, स्पिन गेंदबाज लुखोलो ने कहा कि, ‘क्रिकेट की वजह से उन्हें नशे से दूर रहने और अपने शरीर को फिट रखने में मदद मिली है।’

ऋषभ पंथ का फैन है बच्चा

बस्ति में रहने वाले विकेटकीपर बल्लेबाज टायलान ने कहा- ‘यहां आस-पड़ोस के लोग बहुत हिंसा करते हैं, इसलिए हम अपना दिन खेलने में गुजारते हैं। हम 2019 से क्रिकेट खेल रहे हैं। मुझे ऋषभ पंत जैसा बनना है।’ इसके अलावा यहां 2017 से काम कर रही महिला कोच बबाल्वा जोथे ने बताया कि- ‘इनमें से ज्यादातर बच्चे खयेलित्शा के वंचित समाज से हैं। अब उन्हें स्कॉलरशिप के मौके भी मिल रहे हैं जिससे काफी बच्चों की मदद होती है। हम उन्हें ड्रग्स और अपराध से दूर रहने के लिए क्रिकेट खेलने की प्रेरणा देते हैं।’ महिला कोच ने बताया कि बच्चे क्रिकेट के अलावा जीवन जीने का सलीका भी सीख रहे हैं। उन्होंने कहा कि- ‘हाल ही में लड़कियों के लिए कई कार्यशाला का भी आयोजन किया गया था जिसमें उन्हें नशे से बचाव और यौन स्वास्थ्य के बारे में भी जानकारी दी गई।

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