उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को कहा कि सरकारी कर्मियों को समय पर न्याय मिले, इसके लिए कैट अपने कामकाज में और तेजी लाए.
Lucknow: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को कहा कि सरकारी कर्मियों को समय पर न्याय मिले, इसके लिए कैट अपने कामकाज में और तेजी लाए. योगी ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) की लखनऊ पीठ के कामकाज की सराहना करते हुए कहा कि इसने 2014 से 2024 के बीच दायर 6,708 मामलों में से 6,000 से अधिक मामलों का निपटारा किया. उन्होंने सरकारी कर्मियों को समय पर न्याय प्रदान करने के लिए इस गति को और तेज करने का आह्वान किया.
कैट की लखनऊ पीठ के नवनिर्मित कार्यालय भवन का उद्घाटन
कैट की लखनऊ पीठ के नवनिर्मित कार्यालय भवन के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह गर्व की बात है कि हमारे संविधान के महान निर्माता और हाशिए के लोगों के लिए न्याय के चैंपियन डॉ बी आर अंबेडकर की जयंती पर हम इस महत्वपूर्ण न्यायिक संस्थान को जनता को समर्पित कर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह को धन्यवाद देते हुए आदित्यनाथ ने बताया कि नियमित अदालतों से लंबित मामलों को हटाने में न्यायाधिकरण महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
उन्होंने कहा, “न्यायाधिकरणों की स्थापना के पीछे उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि लंबित सेवा-संबंधी मामलों में अनावश्यक रूप से अदालत का समय बर्बाद न हो और इसके बजाय उन्हें विशेष और समयबद्ध तरीके से निपटाया जाए. इससे प्रभावित कर्मियों को बिना किसी देरी के न्याय मिल सके. उन्होंने न्यायिक संस्थानों के लिए संसाधनों के महत्व को भी रेखांकित किया. मुख्यमंत्री ने कहा, “चाहे वह सर्किट बेंच हो या फुल बेंच, जब तक उसके पास पर्याप्त संसाधन न हों, वह सक्रिय रूप से काम नहीं कर सकता.” उन्होंने कहा कि नया कैट कार्यालय क्षेत्र के 16 जिलों को सेवाएं प्रदान करेगा, जो समय पर न्याय के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करेगा.
कहा- अगर न्याय में सालों तक देरी होती है, तो यह व्यवस्था का बन जाता है मजाक
सभी नागरिकों और सरकारी कर्मचारियों के लिए सुलभ न्याय के महत्व पर जोर देते हुए आदित्यनाथ ने कहा, “लोकतंत्र की विश्वसनीयता एक आम व्यक्ति या कर्मचारी की निष्पक्ष सुनवाई और समाधान तक पहुंचने की क्षमता पर निर्भर करती है. अगर न्याय में सालों तक देरी होती है, तो यह व्यवस्था का मजाक बन जाता है. गोरखनाथ मठ से जुड़ी एक निजी कानूनी लड़ाई को याद करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, “हमारे मठ से जुड़ा एक ज़मीन से जुड़ा मामला 1956 से लेकर 1997 में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले तक चलता रह.। मैं इस मामले से प्रभावित होने वाली तीसरी पीढ़ी थी. यह उदाहरण दिखाता है कि न्याय में देरी पीढ़ियों तक कैसे फैलती है.
उन्होंने बताया कि सरकारी कर्मचारियों को अक्सर लंबे समय तक चलने वाले मामलों का सामना करना पड़ता है जो उनकी सेवा अवधि से आगे तक चलते हैं. उन्होंने कहा, “कल्पना कीजिए कि इससे उन पर और उनके परिवारों पर कितना असर पड़ता है. राजस्व संबंधी विवादों के प्रभावी समाधान पर प्रकाश डालते हुए आदित्यनाथ ने कहा कि जब उन्होंने 2017 में पदभार संभाला था, तब यूपी में ज़मीन से जुड़े 33 लाख से ज़्यादा मामले लंबित थे.
उन्होंने कहा, “हमने उन्हें समयसीमा में वर्गीकृत किया – 30, 60 दिन, आदि – और अधिकारियों को उन्हें तदनुसार हल करने का निर्देश दिया. अगर वे ऐसा करने में विफल रहे, तो निर्णय अपीलकर्ता के पक्ष में माना जाएगा और जिम्मेदार अधिकारी को जवाबदेह ठहराया जाएगा. उन्होंने दावा किया कि इस दृष्टिकोण के कारण पिछले दशक में जहां 10 लाख नए मामले दर्ज किए गए, वहीं 34 लाख से अधिक मामलों का समयबद्ध तरीके से निपटारा किया गया. उन्होंने कहा, “इससे न केवल प्रशासनिक बोझ कम हुआ, बल्कि देरी की संस्कृति पर भी लगाम लगी.
10 साल में 6,708 मामलों में से 6,000 का निपटारा सराहनीय
कैट की सफलता का जिक्र करते हुए आदित्यनाथ ने कहा, “10 साल में 6,708 मामलों में से 6,000 का निपटारा सराहनीय है, लेकिन इनमें से कई मामलों को और भी तेजी से सुलझाया जा सकता है, अगर दोनों पक्षों को आमने-सामने बैठाया जाए. उद्घाटन समारोह में शामिल होने के लिए केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह को धन्यवाद देते हुए आदित्यनाथ ने कहा, “दिल्ली और जम्मू-कश्मीर में अपनी जिम्मेदारियों और पूरे भारत में कार्मिक मामलों को संभालने के बावजूद उन्होंने यहां आने के लिए समय निकाला. उनका लोकसभा क्षेत्र इतना बड़ा है कि इसमें औसत आकार के पांच संसदीय क्षेत्र समा सकते हैं. अपने संबोधन के समापन पर मुख्यमंत्री ने कैट के अधिकारियों को राज्य सरकार के पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया.
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