Bahraich Violence: बहराइच हिंसा पीड़ितों से मिलने जा रहे जमीयत उलमा-ए-हिंद (Jamiat Ulema-e-Hind) के डेलिगेशन को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है.
Bahraich Violence: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बहराइच (Bahraich Encounter) में हुई हिंसा, हत्या और आरोपितों के एनकाउनंटर को लेकर सियासी गर्मी बढ़ती ही जा रही है.
बहराइच हिंसा पीड़ितों से मिलने जा रहे जमीयत उलेमा-ए-हिंद (Jamiat Ulema-e-Hind) के प्रतिनिधिमंडल को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है.
बहराइच जा रहे डेलिगेशन में संगठन के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी (Maulana Hakimuddin Qasmi) और मौलाना गयूर कासमी (Maulana Ghayur Qasmi) भी शामिल थे.
Bahraich Violence: 13-14 अक्टूबर को हुई हिंसा
दरअसल, बहराइच के हरदी में नवरात्रि के बाद देवी दुर्गा की प्रतिमा विसर्जन (13-14 अक्टूबर) को दो पक्षों में बवाल हो गया था.
देखते ही देखते मामला इतना बढ़ गया कि मौके पर 20 राउंड से ज्यादा फायरिंग हो गई. फायरिंग में राम गोपाल मिश्रा नाम के एक व्यक्ति की मौत हो गई और एक अन्य व्यक्ति घायल हो गया.
इस हत्याकांड में सरफराज खान (Sarfaraz Khan) और तालिब (Talib) को आरोपित बनाया गया था. वह दोनों आरोपित सीमा पार नेपाल भागने की फिराक में थे. नेपाल भागते समय दोनों का भारत-नेपाल बॉर्डर पर एनकाउंटर हो गया.
इसी पूरे मामले को लेकर जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रतिनिधिमंडल बहराइच हिंसा पीड़ितों से मिलने जा रहे थे. जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने प्रेस नोट जारी कर इस बात की जानकारी दी थी.
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बहराइच जाने की मांगी अनुमति
जानकारी के मुताबिक डेलिगेशन में संगठन के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी और मौलाना गयूर कासमी भी शामिल थे.
उन्होंने बताया कि डेलिगेशन बहराइच हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने जा रहा था और संगठन की ओर से पीड़ितों को सहायता प्रदान किया जाएगा.
इस बात की जानकारी मिलते ही पुलिस प्रशासन चौकन्ना हो गई और दिल्ली से लखनऊ एयरपोर्ट पर उतरते ही उन्हें हिरासत में ले लिया.
जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से डिलीगेशन को रोके जाने का विरोध किया गया. साथ ही संगठन ने कहा कि पुलिस प्रशासन पीड़ितों की मदद के लिए जा रहे प्रतिनिधिमंडल को क्यों रोक रहा है.
जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से मांग की गई कि प्रतिनिधिमंडल को तुरंत रिहा किया जाए और उन्हें बहराइच जाने की अनुमति दी जाए.
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