International Labour Day 2025: हर साल 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जाता है. इस कड़ी में बॉलीवुड में भी मजदूरों के संघर्ष को उजागर करने के लिए कई फिल्में बनाई गई है.
International Labour Day 2025: हर साल 1 मई को दुनियाभर में अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जाता है. ये दिन मजदूरों के संघर्ष और अधिकारों पर चर्चा के लिए मनाया जाता है. इससे सिनेमा भी अछूता नहीं है. बॉलीवुड में भी कई ऐसी फिल्में हैं जो मजदूरों के जीवन पर बनाई गई है. इन फिल्मों में दिखाया गया है कि किस तरह मजदूर संघर्ष करते हैं और अपने अधिकारों के लिए लड़ते हैं. ऐसे में इस खास मौके पर हम आपके लिए बॉलीवुड की कुछ खास फिल्मों की लिस्ट लेकर आए हैं.
‘नया दौर’

दिलीप कुमार की फिल्म ‘नया दौर’ को साल 1957 में रिलीज किया गया था. ये भारत के सिनेमा के इतिहास में मील का पत्थर साबित हुआ है. इस मूवी में एक तांगे वाले की परेशानियों को उजागर किया गया था. इतना ही नहीं, इस फिल्म के गाना ‘साथी हाथ बढ़ाना’ को लोग आज भी खूब पसंद करते हैं.
‘पैगाम’

फिल्म ‘पैगाम’ ने साल 1959 में सिनेमाघरों में दस्तक दी थी जिसमें दिलीप कुमार और वैजयंतीमाला मुख्य भूमिका में थे. फिल्म की कहानी की बात करे तो, ये मजदूरों और फैक्ट्री मालिक के बीच के संघर्ष को दिखाती है.
‘नमक हराम’

साल 1973 में रिलीज हुई राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘नमक हराम’ मुंबई की कपड़ा फैक्ट्रियों में यूनियन के विकास को दिखाया है. इसके साथ ही इसमें 1970 में महंगाई और मंदी के मुद्दे को भी उठाया गया था.
‘दीवार’

फिल्म ‘दीवार’ साल 1975 में थिएटर्स में दस्तक दी थी. इसमें राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन मुख्य भूमिका में नजर आए थे. ये मूवी हिंदी सिनेमा के इतिहास की शानदार फिल्मों में से एक मानी जाती है. इसी फिल्म ने बिग बी को बॉलीवुड का एंग्री यंग मैन का दर्जा दिलाया था.
‘काला पत्थर’

असली घटना पर आधारित साल 1979 में रिलीज हुई फिल्म ‘काला पत्थर’ ने सबसे ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया था. फिल्म में झारखंड के धनबाद के चसनाला का है, जिसमें कोयला खदान में धमाके के बाद पानी भरने से 372 मजदूरों की मौत हो गई थी.
‘पुष्पा’

‘पुष्पा’ का क्रेज दर्शकों में अब तक कायम है. इस फिल्म की शुरुआत चंदन की लकड़ी का अवैध व्यापार करने के साथ पुष्पा के मजदूरी के साथ शुरू होता है.
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