अमेरिका में 19 वीं शताब्दी में हुए एक बड़े यूनियन आंदोलन के दौरान कामगार दिवस की शुरुआत हुई थी. इस आंदोलन में मार्क्सवादी समाजवादी कांग्रेस ने मांग रखी कि मजदूरों से आठ घंटे से अधिक काम न कराया जाए.
New Delhi: अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस 1 मई को मनाया जा रहा है. दुनिया के अधिकांश देश इस दिन को सार्वजनिक अवकाश के रूप में मनाते हैं. जबकि अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, यूके,आयरलैंड और नीदरलैंड जैसे देश ऐसा नहीं करते हैं. अमेरिका में 19 वीं शताब्दी में हुए एक बड़े यूनियन आंदोलन के दौरान कामगार दिवस की शुरुआत हुई थी. इस आंदोलन में मार्क्सवादी समाजवादी कांग्रेस ने मांग रखी कि मजदूरों से आठ घंटे से अधिक काम न कराया जाए. जब आंदोलन में यह प्रस्ताव पास हो गया तो उसी दिन से 1 मई को मजदूर दिवस के रूप में मान्यता दे दी गई.
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वे देश जहां 1 मई को होता है सार्वजनिक अवकाश
रूस, चीन, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, भारत, फ्रांस, जर्मनी सहित 65 से ज्यादा देशों में 1 मई को राष्ट्रीय अवकाश घोषित है.
इन देशों में नहीं होता 1 मई को सार्वजनिक अवकाश
संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, यूनाइटेड किंगडम, आयरलैंड व नीदरलैंड.
कौन थे मजदूर दिवस के जनक ?
मजदूर दिवस का जनक कामरेड सिंगरावेलू चेट्यार को माना जाता है. कामगार दिवस की शुरुआत मज़दूर किसान पार्टी के नेता कामरेड सिंगरावेलू ने की थी. कामरेड सिंगरावेलू के नेतृत्व में हजारों कामगारों ने मद्रास हाईकोर्ट सामने बड़ा प्रदर्शन किया और यह संकल्प लिया कि 1 मई को भारत में भी मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाए और इस दिन अवकाश घोषित किया जाए. अफ्रीका, एशिया, यूरोप और लैटिन अमेरिका के कई देश 1 मई को राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाते हैं, जिनमें फ्रांस, जर्मनी, दक्षिण अफ्रीका, भारत, ब्राजील, वियतनाम और रूस शामिल हैं.
आज बंद हैं देश के शेयर बाजार
इस दिन आम तौर पर परेड, यूनियन सभाएं और कर्मचारी अधिकारों पर जोर देने वाले समारोह होते हैं. पहला श्रमिक दिवस भारत में 1 मई 1923 को किसान-मजदूर पार्टी ने चेन्नई में मनाया था. 1 मई को देश के शेयर बाजार बंद रहेंगे. NSE और BSE में कारोबार नहीं होगा.1 मई को इक्विटी, इक्विटी डेरिवेटिव्स, करेंसी डेरिवेटिव्स और सिक्योरिटीज लेंडिंग एंड बॉरोइंग (SLB) सेगमेंट में भी कोई कारोबार नहीं होगा. इस दिन भारत सहित कई देशों में श्रमिक अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाते हैं. रैलियां, सम्मेलन और गोष्ठियां करके जिम्मेदार लोगों का ध्यान आकृष्ट करते हैं.
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