पाकिस्तान के सिंध प्रांत के सुक्कुर शहर में जन्मी शारदा जबरन धर्म परिवर्तन और वहां एक मुस्लिम युवक से शादी से बचने के लिए भारत भाग आई थी.
Bhubaneswar: पाकिस्तान में जन्मी 53 वर्षीय शारदा कुकरेजा,जो एक भारतीय नागरिक से शादी करने के बाद 35 वर्षों से ओडिशा के बोलनगीर जिले में रह रही हैं, ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ओडिशा के सीएम मोहन चरण माझी से अपील की है कि उन्हें उनके परिवार से अलग न किया जाए, क्योंकि पुलिस ने उन्हें देश छोड़ने का नोटिस जारी किया है. पाकिस्तान के सिंध प्रांत के सुक्कुर शहर में जन्मी शारदा जबरन धर्म परिवर्तन और वहां एक मुस्लिम युवक से शादी से बचने के लिए भारत भाग आई थी. महेश कुमार कुकरेजा से शादी करने के बाद वह 35 वर्षों से ओडिशा के बोलनगीर जिले में रह रही है. प्रशासन ने शारदा को जल्द से जल्द देश छोड़ने का नोटिस दिया है.
सभी भाई-बहन भी शादीशुदा और भारत के अलग-अलग हिस्सों में रह रहे हैं
बोलनगीर के पुलिस अधीक्षक अभिलाष जी ने पीटीआई को बताया कि नोटिस केवल महिला को दिया गया है, उसके पति या बच्चों को नहीं. एसपी ने कहा कि हमने रिकॉर्ड के अनुसार नोटिस दिया है. भारत ने गुरुवार को घोषणा की कि 27 अप्रैल से पाकिस्तानी नागरिकों को जारी किए गए सभी वीजा रद्द कर दिए जाएंगे और इन लोगों को देश छोड़ने के लिए कहा जाएगा क्योंकि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए बर्बर आतंकवादी हमले के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है जिसमें 26 लोग मारे गए थे. शारदा ने बताया कि वह अपनी चार बहनों और पांच भाइयों के साथ धर्म परिवर्तन के डर से पाकिस्तान से भागकर 35 साल पहले बोलनगीर में आकर बस गई थी. उसके सभी भाई-बहन भी शादीशुदा हैं और भारत के अलग-अलग हिस्सों में रह रहे हैं.
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उसने कहा, “पहले हम ओडिशा के कोरापुट जिले में आए और शादी के बाद बोलनगीर आ गए. मैं 35 साल से बोलनगीर में रह रही हूं. 1990 में जब मेरी शादी हुई थी, तब मैं सिर्फ 18 साल की थी. उसने बताया कि उसका परिवार 1987 में 60 दिन के वीजा पर भारत आया था. जबकि उसके परिवार के सभी सदस्य भारतीय हैं, उसके पास अभी भी पाकिस्तानी पासपोर्ट है और वह तकनीकी रूप से उस देश की नागरिक है. शारदा ने दावा किया, “मेरे पास आधार कार्ड है और मैंने कई चुनावों में वोट भी दिया है. लेकिन तकनीकी रूप से मुझे भारतीय नहीं माना जाता है.
प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से अपील, उन्हें पति और बच्चों से न किया जाए अलग
महिला ने बताया कि उसे उम्मीद है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम के बाद उसे भारतीय नागरिकता मिल जाएगी. उसने बताया कि उसे अभी भी भारतीय नागरिकता नहीं मिली है.इस उम्र में देश से बाहर निकाले जाने और परिवार से अलग होने के डर से शारदा ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से अपील की है कि उन्हें उनके पति और बच्चों से अलग न किया जाए. उन्होंने कहा, “अगर भारत सरकार मुझे वापस पाकिस्तान भेजती है तो मैं कहां जाऊंगी, वहां किससे मिलूंगी? उस देश में मेरा कोई नहीं है. मैं 1987 के बाद कभी पाकिस्तान नहीं गई. यहां तक कि मैंने पाकिस्तान में किसी से फोन पर बात भी नहीं की. मैं किससे बात करूं? मेरा उस देश से कोई संबंध नहीं है, जिसने मुझे और मेरे परिवार को सुरक्षा नहीं दी.
12 पाकिस्तानी नागरिकों की पहचान, 27 अप्रैल तक देश छोड़ने का आदेश
रुंधे गले से शारदा कहती हैं कि वह अपने परिवार के बिना एक पल भी नहीं रह सकतीं. ओडिशा सरकार ने अब तक राज्य में दीर्घकालिक और अल्पकालिक वीजा पर रह रहे 12 पाकिस्तानी नागरिकों की पहचान की है और उन्हें 27 अप्रैल तक देश छोड़ने को कहा है. इस बीच 2008 से भुवनेश्वर में एक दुकान मालिक से विवाहित एक पाकिस्तानी महिला को पता चला कि उसका लंबित देश निकास परमिट शनिवार को पुलिस द्वारा स्वीकृत कर दिया गया है. उसका दीर्घकालिक वीजा (LTV) 2024 में समाप्त हो गया था और वीजा के विस्तार के लिए उसके आवेदन को अस्वीकार कर दिए जाने के बाद उसने आगंतुक वीजा प्राप्त किया. इसके बाद उसने फरवरी में देश से बाहर निकलने के परमिट के लिए आवेदन किया.
भुवनेश्वर के डीसीपी जगमोहन मीना ने यहां संवाददाताओं से कहा, “हां, हमने उसके देश से बाहर निकलने के परमिट को मंजूरी दे दी है और पाकिस्तानी नागरिक होने के कारण देश छोड़ने का नोटिस भी दिया है. उसे 27 अप्रैल तक भारत छोड़ने का आदेश दिया गया है. मीणा ने कहा कि यह कार्रवाई केंद्र के एक आदेश के अनुसार की जा रही है, जिसने पाकिस्तानी नागरिकों को आवंटित विभिन्न प्रकार के वीजा रद्द कर दिए हैं. डीसीपी ने कहा, “हमें राज्य सरकार से आदेश मिला था और उसके आधार पर हमने सत्यापन किया तो पता चला कि एक पाकिस्तानी नागरिक भुवनेश्वर में है. उसकी पहचान की गई और उससे संपर्क किया गया.
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