मंदिर को सजाने के लिए 150 से अधिक स्वयंसेवकों ने दिन-रात काम किया है. स्वयंसेवकों ने कहा कि भगवान शिव की सेवा करने का अवसर मिलने पर सौभाग्यशाली महसूस कर रहे हैं.
Kedarnath: केदारनाथ धाम के कपाट शुक्रवार (2 मई) सुबह श्रद्धालुओं के लिए फिर से खोल दिए जाएंगे. इस अवसर पर हिमालय स्थित इस मंदिर को देश-विदेश से लाए गए 108 क्विंटल मिश्रित फूलों से सजाया गया है. मंदिर को सजाने के लिए 150 से अधिक स्वयंसेवकों ने दिन-रात काम किया है. स्वयंसेवकों ने कहा कि भगवान शिव की सेवा करने का अवसर मिलने पर सौभाग्यशाली महसूस कर रहे हैं, जो उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में समुद्र तल से 11 हजार फीट से अधिक ऊंचाई पर स्थित सदियों पुराने मंदिर के मुख्य देवता हैं.

मंदिर को सजाने के लिए गुलाब और गेंदे सहित 54 प्रकार के फूलों का उपयोग
मंदिर को सजाने में लगे स्वयंसेवकों का नेतृत्व करने वाले गुजरात के वडोदरा के श्रीजल व्यास ने बताया कि नेपाल, थाईलैंड, श्रीलंका, दिल्ली, कश्मीर,पुणे, कोलकाता और पटना सहित भारत के विभिन्न स्थानों से लाए गए गुलाब और गेंदे सहित 54 प्रकार के फूलों का उपयोग मंदिर को सजाने के लिए किया गया है. हमें मंदिर को सजाने के लिए इन ऊंचाइयों पर लगभग 80 क्विंटल फूल लाने में कठिनाई का सामना करना पड़ा. व्यास ने कहा कि हम सभी अपने प्रिय देवता की सेवा करने का अवसर पाकर प्रसन्न हैं. भगवान शिव के मंदिर को सजाने का अवसर मिलना एक दुर्लभ आशीर्वाद है. मेरी पत्नी और 10 वर्षीय बेटा तपन देसाई ने पीटीआई वीडियो से कहा कि स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के बावजूद वे यहां भगवान की सेवा करने आए हैं.

ये भी पढ़ेंः Akshaya Tritiya: जानिए इस शुभ दिन का धार्मिक महत्व, इतिहास और इसके साथ जुड़ी खास बातें
व्यास ने कहा कि हम अपने भगवान के निवास को उसी तरह सजा रहे हैं जैसे हम शादी के लिए अपने घरों को सजाते हैं. उखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में सर्दियों के दौरान पूजी जाने वाली भगवान शिव की मूर्ति गुरुवार को पुजारियों और बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के पदाधिकारियों के कंधों पर फूलों से सजी पालकी में गौरीकुंड के रास्ते यहां पहुंचेगी. मंदिर के सौंदर्यीकरण में पश्चिम बंगाल के 35 कारीगरों ने भी मदद की है. मंदिर के मुख्य पुजारी भीमाशंकर लिंग ने कहा कि मंदिर के द्वार शुक्रवार सुबह सात बजे खोल दिए जाएंगे.
वाराणसी, हरिद्वार और ऋषिकेश के गंगा आरती की तर्ज पर भव्य आरती
उन्होंने कहा कि मंदिर के द्वार खोलने की तैयारियां सुबह छह बजे ही शुरू हो जाएंगी. बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के सीईओ विजय थपलियाल ने कहा कि इस बार केदारनाथ में तीर्थयात्रियों के लिए एक आकर्षक व नई सुविधा वाराणसी, हरिद्वार और ऋषिकेश में गंगा आरती की तर्ज पर भव्य आरती होगी. उन्होंने कहा कि आरती के लिए सभी प्रबंध कर लिए गए हैं. दोनों प्राचीन नदियों के संगम के तीनों ओर श्रद्धालुओं के लिए रैंप बनाए गए हैं. थपलियाल ने कहा कि मंदिर के सामने नंदी की मूर्ति और मंदिर के पास शंकराचार्य की मूर्ति को भी इस बार फूलों से सजाया गया है.
ये भी पढ़ेंः परशुराम जयंती 2025: पूजा में करें यह दिव्य स्तोत्र का पाठ, दूर होंगी सारी बाधाएं, बरसेगी लक्ष्मी कृपा