India-Bangladesh: बांग्लादेश के पूर्व सैन्य अधिकारी द्वारा भारत के नॉर्थ ईस्ट पर कब्जे की बात करना न सिर्फ कूटनीतिक रूप से खतरनाक है, बल्कि इतिहास, हकीकत और कृतज्ञता को भी ठेंगा दिखाना है.
India-Bangladesh: बांग्लादेश के पूर्व सैन्य अधिकारी द्वारा भारत के नॉर्थ ईस्ट पर कब्जे की बात करना न सिर्फ कूटनीतिक रूप से खतरनाक है, बल्कि इतिहास, हकीकत और कृतज्ञता को भी ठेंगा दिखाना है. भारत ने हमेशा बांग्लादेश की भलाई चाही, लेकिन अब अगर ये देश पाकिस्तान की राह पर चलकर भारत को आंख दिखाएंगे, तो भारत जवाब देने में देर नहीं लगाएगा. यह वक्त बांग्लादेश के लिए चेतावनी है – आग से मत खेलो, क्योंकि भारत के धैर्य की भी एक सीमा होती है.बांग्लादेश के पूर्व सैन्य अधिकारी द्वारा भारत के नॉर्थ ईस्ट पर कब्जे की बात करना न सिर्फ कूटनीतिक रूप से खतरनाक है, बल्कि इतिहास, हकीकत और कृतज्ञता को भी ठेंगा दिखाना है.
पाकिस्तान से तनातनी, बांग्लादेश की जबान क्यों फिसली?

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव के बीच अब बांग्लादेश भी मोर्चा खोलने की कोशिश कर रहा है. एक रिटायर्ड बांग्लादेशी मेजर जनरल ए.एल.एम. फजलुर रहमान ने यह विवाद खड़ा कर दिया है कि अगर भारत पाकिस्तान पर हमला करता है तो बांग्लादेश को भारत के सात पूर्वोत्तर राज्यों पर कब्जा कर लेना चाहिए. यह बयान न सिर्फ भड़काऊ है, बल्कि भारत की संप्रभुता और आंतरिक सुरक्षा को खुली चुनौती भी है.
कौन हैं रहमान और क्यों दे रहे हैं ऐसे बयान?

ए.एल.एम. फजलुर रहमान, जो 2001 में भारत-बांग्लादेश सीमा पर हुई बीएसएफ जवानों की शहादत के वक्त बीडीआर (अब BGB) के प्रमुख थे, आज खुद को “राष्ट्रवादी” कह कर भारत-विरोधी विषवमन कर रहे हैं. वह वर्तमान अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस के बेहद करीबी माने जाते हैं. यूनुस सरकार पिछले कुछ समय से चीन और पाकिस्तान के साथ नजदीकियां बढ़ाने में लगी है.
जिसने आजाद करवाया, उसी पर आंख तरेर रहे

आज वही बांग्लादेश, जिसे भारत ने 1971 में पाकिस्तान की जंजीरों से मुक्त करवाया, उसी भारत के खिलाफ घिनौनी भाषा बोल रहा है. जिस भारत ने शरणार्थियों को पनाह दी, फौज भेजी, और ढाका की धरती पर पाकिस्तानी सेना को घुटनों पर ला दिया- वही भारत आज बांग्लादेश के नेताओँ को खटकने लगा है? बांग्लादेश की ये भाषा कृतघ्नता की पराकाष्ठा है.
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पाकिस्तान से प्रेरित बांग्लादेशी अहंकार
पाकिस्तान को देख कर बांग्लादेश का जोश चढ़ा है. पर दोनों देशों की सच्चाई एक जैसी ही है- विदेशी कर्ज में डूबे, कट्टरपंथ में जकड़े, और भारत के सहयोग के बिना एक कदम भी चलने में असमर्थ. चाहे पानी हो या व्यापार, चाहे बिजली हो या कोविड वैक्सीन- भारत ने हमेशा बांग्लादेश का साथ दिया है. लेकिन अब ये छोटे देश उस ताकत से टकराने की सोच रहे हैं जिसने इन्हें खड़ा किया.
चीन का झूठा सहारा: ड्रैगन से दोस्ती का भ्रम

रहमान ने चीन के साथ संयुक्त सैन्य समझौते की बात कहकर बांग्लादेश को एक और झूठे सपने में झोंक दिया है. क्या चीन बांग्लादेश के लिए भारत से पंगा लेने के लिए खड़ा होगा? जवाब साफ है – चीन ने हमेशा अपने लाभ की राजनीति की है, न कि किसी दोस्ती के नाम पर युद्ध किए हैं. चीन का सहारा लेना आत्मघाती होगा.
भारत का सख्त संदेश: “बाप से पंगा मत लेना”
भारत एक शांतिप्रिय देश है, लेकिन आत्मसम्मान से समझौता नहीं करता. अगर बांग्लादेश और पाकिस्तान दोनों भूल चुके हैं कि 1971 में क्या हुआ था, तो भारत उन्हें 10 मिनट में फिर से याद दिला सकता है. नॉर्थ ईस्ट भारत पर कब्जे की बात करना सिर्फ मूर्खता नहीं, बल्कि आत्मघाती सोच है. भारत के पास इतनी सैन्य, कूटनीतिक और सामरिक ताकत है कि ये दोनों ‘भिक्षा-राष्ट्र’ फिर से घुटनों पर आ जाएं.
असलियत: खुद के दम पर नहीं चल सकते पाक और बांग्लादेश
पाकिस्तान और बांग्लादेश दोनों ही आज आर्थिक रूप से भारत पर निर्भर हैं. इनका व्यापार, ट्रांजिट, टूरिज्म और यहां तक कि पानी तक भारत से होकर गुजरता है. भारत चाहे तो एक आदेश में इन दोनों की कमर तोड़ सकता है. पर भारत ने हमेशा जिम्मेदारी निभाई है. अब वक्त है कि ये देश अपने “बाप” से भिड़ने की भूल न करें.
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