सरकारी वकील हितेन वेनेगांवकर ने अदालत को आश्वासन दिया कि शनिवार (3 मई) तक एसआईटी (SIT) द्वारा एफआईआर दर्ज कर ली जाएगी.
Mumbai: बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को पूछा कि पांच पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की गई. लापरवाही पर कोर्ट ने SIT को कड़ी फटकार लगाई. बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि यह “बहुत खेदजनक स्थिति”है. हाईकोर्ट द्वारा सख्त टिप्पणी किए जाने के बाद कि वह अवमानना कार्रवाई शुरू करने के लिए बाध्य होगी. सरकारी वकील हितेन वेनेगांवकर ने अदालत को आश्वासन दिया कि शनिवार (3 मई) तक एसआईटी (SIT) द्वारा एफआईआर दर्ज कर ली जाएगी.
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति नीला गोखले की पीठ ने वेनेगांवकर के आश्वासन को स्वीकार कर लिया. 7 अप्रैल को हाईकोर्ट ने क्राइम ब्रांच के ज्वाइंट कमिश्नर लखमी गौतम को शिंदे की मौत की जांच के लिए एक विशेष जांच दल गठित करने और शिंदे की मौत के लिए मजिस्ट्रेट की जांच रिपोर्ट में आरोपित पांच पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था. पिछले हफ्ते हाईकोर्ट ने राज्य आपराधिक जांच विभाग (CID) की कड़ी आलोचना की, जो शुरू में मामले की जांच कर रहा था और केस के कागजात एसआईटी को नहीं सौंपे थे.
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बुधवार को जब हाईकोर्ट ने पूछा कि क्या एफआईआर दर्ज की गई थी, तो सरकारी वकील हितेन वेनेगांवकर ने नकारात्मक जवाब दिया. जवाब से नाराज होकर बेंच ने कहा कि जब एक संज्ञेय अपराध बना था, तो पुलिस को अपना दिमाग लगाना चाहिए था और एफआईआर दर्ज करनी चाहिए थी. पुलिस पर जिम्मेदारी डाली गई है कि वह सिस्टम में जनता के विश्वास को कम न होने दें.यह एक अप्राकृतिक मौत है.पीठ ने कहा कि उसके आदेश का पालन न होने की स्थिति में वह अवमानना कार्रवाई शुरू करने के लिए बाध्य होगी. पीठ ने टिप्पणी की, “यह इस न्यायालय के निर्देशों की सरासर अवहेलना है. हम संतुष्ट नहीं हैं. यह बहुत ही खेदजनक स्थिति है. अब हम अवमानना जारी करने के लिए विवश हैं. एसआईटी से कुछ समर्पण दिखाने और मामले को तार्किक निष्कर्ष तक ले जाने को कहा.
आरोपी की पुलिस वैन के अंदर गोली मारकर कर दी गई थी हत्या
ठाणे जिले के बदलापुर में यौन उत्पीड़न के आरोपी शिंदे (24) की 23 सितंबर, 2024 को तलोजा जेल से कल्याण ले जाते समय पुलिस वैन के अंदर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. एस्कॉर्टिंग पुलिस टीम ने दावा किया कि उन्होंने एक अधिकारी की बंदूक छीनने और गोली चलाने के बाद आत्मरक्षा में उसे गोली मारी. माता-पिता ने स्वतंत्र जांच की मांग करते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की. मजिस्ट्रेट द्वारा की गई जांच रिपोर्ट ने पांच पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराया.
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