Home International ‘बड़ी शक्तियों ने बहुलवाद को दबाया…’ जयशंकर बोले- विश्व व्यवस्था लोकतांत्रिक होनी चाहिए

‘बड़ी शक्तियों ने बहुलवाद को दबाया…’ जयशंकर बोले- विश्व व्यवस्था लोकतांत्रिक होनी चाहिए

by Sachin Kumar
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EAM S Jaishankar International Politics Democracy AI

EAM S Jaishankar : विश्व व्यवस्था में लोकतंत्र की वकालत करने वाले विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि हम सिर्फ इसको आर्थिक और राजनीति तक सीमित नहीं रखना है. यह लोगों की आवाज और खुले डायलॉग का भी मुद्दा है.

EAM S Jaishankar : द्वितीय विश्व युद्ध के बाद कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं का निर्माण किया गया और उस दौरान कहा गया कि दुनिया में संतुलित लाने के साथ विकासशील देशों का विकास करना है. लेकिन ऐसा हुआ नहीं बल्कि विकसित देशों ने अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए विकासशील देशों से सिर्फ कच्चा माल लिया और साजो सामान के रूप में तैयार करके उन्हें महंगे दामों में बेच दिया. यही वजह रही कि विकसित देशों ने विकासशील और अविकसित देशों को अपने ऊपर डिपेंड रखा. इसी कड़ी में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि अतीत में उपनिवेशवाद और बड़ी शक्तियों के प्रभुत्व की वजह से बहुलवाद (विकासशील और अविकसित देश के लोग) को दबा दिया.

क्रिएटिव वर्क पर ध्यान दिया जाए

विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने कहा कि बहुलवाद की प्रगति के लिए विश्व व्यवस्था में लोकतंत्र स्थापित करने के लिए परंपराओं, विरासत और विचारों को आवाज देना आवश्यक है. विश्व ऑडियो विजुअल और मनोरंजन शिखर सम्मेलन (WAVES) के कार्यक्रम में सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnav) के साथ ग्लोबल डायलॉग को संबोधित करते हुए बेहतरीन क्रिएटिव वर्क में योगदान के लिए प्रतिभाओं के लिए सहज गतिशीलता की भी जोरदार वकालत की. इसके अलावा विदेश मंत्री ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए आगाह किया कि टेक्नोलॉजी का गैर-जिम्मेदाराना उपयोग एक बढ़ती हुई चिंता होगी.

विश्व व्यवस्था को लोकतांत्रिक होना चाहिए : EAM

उन्होंने आगे बताया कि आज के समय में विषय-वस्तु, लोकतंत्रीकरण करना और इसकी नैतिकता को प्राथमिकता देना है और यह आने वाले समय के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है. जयशंकर ने बताया कि दुनिया में सच्चाई यही है कि आंतरिक और अनिवार्य रूप से विविधतापूर्ण है. इसके अलावा अतीत में उपनिवेशवाद और बड़ी शक्तियों के प्रभुत्व दोनों के द्वारा बहुलवाद को दबा दिया. विदेश मंत्री ने कहा कि हम अंतरराष्ट्रीय राजनीति को लोकतांत्रिक बनाना चाहते हैं. यही वजह है कि केवल राजनीतिक और आर्थिक स्वतंत्रता का दावा करना ही पर्याप्त नहीं है. यह भी उतना ही आवश्यक है कि हम अपनी परंपराओं, अपनी विरासत, विचारों प्रथाओं और अपनी रचनात्मकता को आवाज दें. उन्होंने यह भी कहा कि दुनिया में कई आवाजें, अनुभव, सत्य और उन्हें हर किसी को अभिव्यक्त करने का अधिकार है.

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