IAF jet landings: उत्तर प्रदेश ने हाइवे पर वायुसेना के विमानों की लैंडिंग सुविधा के मामले में अग्रणी भूमिका निभाई है. यहां चार प्रमुख एक्सप्रेसवे पर एयरस्ट्रिप्स विकसित की गई हैं.
IAF jet landings: भारतीय वायुसेना की रणनीतिक ताकत को और मजबूत करने के लिए देश के विभिन्न हाइवे पर आपातकालीन लैंडिंग के लिए एयरस्ट्रिप्स विकसित किए गए हैं. खास बात यह है कि उत्तर प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जहां चार हाइवे एयरस्ट्रिप्स मौजूद हैं, जो युद्ध या आपदा जैसी परिस्थितियों में वायुसेना के विमानों के लिए वैकल्पिक रनवे के रूप में काम कर सकती हैं. इसके अलावा, अन्य राज्यों में भी कुछ हाइवे एयरस्ट्रिप्स का निर्माण किया गया है. आइए, जानते हैं इनके बारे में विस्तार से.
उत्तर प्रदेश में चार हाइवे एयरस्ट्रिप्स
उत्तर प्रदेश ने हाइवे पर वायुसेना के विमानों की लैंडिंग सुविधा के मामले में अग्रणी भूमिका निभाई है. यहां चार प्रमुख एक्सप्रेसवे पर एयरस्ट्रिप्स विकसित की गई हैं, जो भारतीय वायुसेना की रणनीतिक क्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण हैं.
आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे (उन्नाव)
यह भारत का पहला एक्सप्रेसवे था, जिसे वायुसेना ने आपातकालीन लैंडिंग के लिए उपयोग किया. उन्नाव जिले में 3.2 किलोमीटर लंबा यह हिस्सा विशेष रूप से लड़ाकू विमानों के लिए डिज़ाइन किया गया है. 2017 में हुए एक बड़े अभ्यास में मिराज-2000, सुखोई Su-30 MKI और जगुआर विमानों ने यहां सफलतापूर्वक लैंडिंग और टेक-ऑफ किया था. यह एक्सप्रेसवे प्रबलित कंक्रीट से बना है, जो इसे सैन्य संचालन के लिए उपयुक्त बनाता है.
पूर्वांचल एक्सप्रेसवे (सुल्तानपुर)
2021 में उद्घाटित इस एयरस्ट्रिप की लंबाई 3.2 किलोमीटर है. सुल्तानपुर जिले में स्थित इस एक्सप्रेसवे पर मिराज-2000 और एएन-32 परिवहन विमानों ने उद्घाटन के दौरान लैंडिंग और टेक-ऑफ का प्रदर्शन किया.
यमुना एक्सप्रेसवे (जेवर)
ग्रेटर नोएडा को आगरा से जोड़ने वाले यमुना एक्सप्रेसवे पर 2015 में पहली बार मिराज-2000 लड़ाकू विमान ने ट्रायल लैंडिंग की थी. हालांकि इसे स्थायी एयरस्ट्रिप के रूप में नामित नहीं किया गया, लेकिन यह आपातकालीन संचालन के लिए उपयुक्त है.
गंगा एक्सप्रेसवे (शाहजहांपुर)
यह देश की पहली ऐसी हवाई पट्टी है, जहां वायुसेना के विमान दिन और रात दोनों समय लैंडिंग कर सकते हैं. शाहजहांपुर में 3.5 किलोमीटर लंबी इस आधुनिक एयरस्ट्रिप पर 2 मई 2025 को राफेल, मिराज और जगुआर विमानों ने नाइट लैंडिंग अभ्यास किया. सुरक्षा के लिए 250 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं और आसपास का क्षेत्र नो-फ्लाइंग ज़ोन घोषित किया गया है. यह एयरस्ट्रिप नवंबर 2025 तक पूर्ण रूप से चालू हो जाएगी.
अन्य राज्यों में हाइवे एयरस्ट्रिप्स
उत्तर प्रदेश के अलावा देश के अन्य हिस्सों में भी वायुसेना के लिए हाइवे एयरस्ट्रिप्स विकसित की गई हैं. इनमें से कुछ प्रमुख हैं.
राष्ट्रीय राजमार्ग 925ए (बाड़मेर, राजस्थान)
भारत-पाकिस्तान सीमा के निकट बाड़मेर में 2019 में भारतमाला परियोजना के तहत बनी यह एयरस्ट्रिप आपातकालीन लैंडिंग के लिए तैयार की गई है. 2021 में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इसका उद्घाटन किया था. यह रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सीमा के करीब स्थित है.
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राष्ट्रीय राजमार्ग (जैसलमेर, राजस्थान और द्वारका, गुजरात)
वायुसेना ने भारत-पाकिस्तान सीमा के निकट राजस्थान के जैसलमेर और गुजरात के द्वारका में हाइवे पर लैंडिंग स्थल चिह्नित किए हैं. ये स्थान युद्ध या प्राकृतिक आपदा के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.
अन्य संभावित स्थान
वायुसेना ने जम्मू-कश्मीर, असम, पश्चिम बंगाल और उत्तराखंड जैसे राज्यों में 21 हाइवे स्थानों की पहचान की है, जहां आपातकालीन लैंडिंग की जा सकती है. इनका चयन विस्तृत अध्ययन के बाद किया गया है, ताकि न्यूनतम संसाधनों में अधिकतम परिणाम प्राप्त किए जा सकें.
हाइवे एयरस्ट्रिप्स का महत्व
हाइवे पर एयरस्ट्रिप्स का निर्माण भारत की रक्षा रणनीति का हिस्सा है. ये आपातकालीन रनवे युद्ध, प्राकृतिक आपदा या अन्य संकटों के दौरान वायुसेना को वैकल्पिक लैंडिंग और टेक-ऑफ की सुविधा प्रदान करते हैं. भारत से पहले जर्मनी, स्वीडन, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया और स्विट्जरलैंड जैसे देश हाइवे को रनवे के रूप में उपयोग कर चुके हैं. भारत का यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा और बुनियादी ढांचे के दोहरे उपयोग को दर्शाता है.
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