Chardham Yatra 2025: चारधाम यात्रा केवल तीर्थ नहीं, एक जीवन अनुभव है-जहां भक्ति, प्रकृति और त्याग तीनों का मिलन होता है. उत्तराखंड सरकार ने इस बार इसे सुरक्षित, सुव्यवस्थित और सुविधाजनक बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. यदि आप इस बार यात्रा की सोच रहे हैं, तो यह समय है आत्मा की ओर यात्रा का.
Chardham Yatra 2025: अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर चारधाम यात्रा 2025 का शुभारंभ यमुनोत्री और गंगोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ हो गया है. उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में स्थित ये चार पवित्र धाम – यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ – हर वर्ष लाखों श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर देते हैं. इस वर्ष बढ़े हुए खतरे के मद्देनजर सुरक्षा चाक-चौबंद है और यात्रा को आसान और सुरक्षित बनाने के लिए सरकार ने कई इंतजाम किए हैं.
चारधाम यात्रा का महत्व: आध्यात्मिक मुक्ति की ओर पहला कदम
चारधाम यात्रा हिंदू धर्म की सबसे पवित्र यात्राओं में मानी जाती है. यह यात्रा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि आत्मिक शुद्धिकरण और मोक्ष की प्राप्ति का माध्यम भी है.
- यमुनोत्री: यमुना नदी का उद्गम स्थल.
- गंगोत्री: गंगा नदी की शुरुआत मानी जाती है.
- केदारनाथ: भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक.
- बद्रीनाथ: भगवान विष्णु का निवास और ‘अष्ट वैकुंठों’ में से एक.
चारधाम की यात्रा को जीवन की पूर्णता और आध्यात्मिक मोक्ष का मार्ग माना गया है.
कपाट खुलने का समय: शुभ मुहूर्त में शुरू हुई यात्रा
- गंगोत्री धाम: कपाट सुबह 10:30 बजे खोले गए.
- यमुनोत्री धाम: कपाट 11:55 बजे खोले गए.
- केदारनाथ: 2 मई को कपाट खुलेंगे.
- बद्रीनाथ: 4 मई को कपाट खुलेंगे.

हर वर्ष की तरह, इस बार भी कपाट अक्षय तृतीया के दिन खोले गए, जिसे अत्यंत शुभ तिथि माना जाता है. हज़ारों श्रद्धालु पहले दिन ही दर्शनों के लिए पहुंच चुके हैं.
इस बार सुरक्षा है बेहद खास: हाई अलर्ट पर पूरा उत्तराखंड
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद इस बार चारधाम यात्रा में कड़े सुरक्षा इंतज़ाम किए गए हैं.
- 6000 पुलिसकर्मी
- 17 पीएसी कंपनियां
- 10 अर्धसैनिक बल कंपनियां
- 65 संवेदनशील स्थानों पर NDRF की तैनाती
- 2000+ CCTV कैमरे
- 15 सुपर जोन और इंटीग्रेटेड कमांड सेंटर
उत्तराखंड पुलिस के डीजीपी दीपम सेठ ने यात्रियों को आश्वस्त किया है कि वे पूरी तरह सुरक्षित वातावरण में यात्रा कर सकते हैं.
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यात्रा कैसे करें: पंजीकरण और मार्ग

चारधाम यात्रा के लिए ऑनलाइन पंजीकरण अनिवार्य है. यह उत्तराखंड सरकार की official portal पर किया जा सकता है.
प्रमुख मार्ग:
- हरिद्वार / ऋषिकेश से प्रारंभ
- यमुनोत्री → गंगोत्री → केदारनाथ → बद्रीनाथ (यात्रा क्रम यही रखने की परंपरा है)
राज्य सरकार ने यात्रा मार्गों पर स्वास्थ्य कैंप, मोबाइल टॉयलेट, भोजनालय, और आपातकालीन सहायता केंद्र भी स्थापित किए हैं. वहीं अगर रुकने की बात करे तो चार धाम यात्रा के लिए आपको वहां कई तरह के होटल व गेस्ट हाउस मिल जायेंगे जिसकी बुकिंग आप ऑनलाइन भी कर सकते हैं.
चारधाम यात्रा का इतिहास: हजारों वर्षों से चलती परंपरा
चारधाम यात्रा की परंपरा आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित मानी जाती है, जो 8वीं सदी के महान संत और विचारक थे. उन्होंने हिमालय के इन चार पवित्र स्थलों को आत्मा की शुद्धि और मुक्ति का मार्ग बताया. यह यात्रा छह महीने चलती है- मई से अक्टूबर तक, जब तक बर्फबारी शुरू नहीं होती. यात्रा के दौरान श्रद्धालु कठोर पर्वतीय रास्तों से होकर निकलते हैं, जो उनकी आस्था और संकल्प को दर्शाता है.
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