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भारत-पाक के बीच टकराव की आशंका, US-चीन ने खींचा हाथ; आतंकीदेश के लिए बनी चुनौती!

by Live Times
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Pahalgam Attack: पहलगाम में हुई आतंकी घटना ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को खतरनाक मोड़ पर पहुंचा दिया है.जहां एक ओर युद्ध के हालात बनते दिख रहे हैं, वहीं दूसरी ओर अमेरिका और चीन जैसे वैश्विक ताकतों के सामने अब यह बड़ी चुनौती है कि वे पाकिस्तान का समर्थन करें या भारत के साथ अपने आर्थिक हितों को प्राथमिकता दें. भारत और इन दोनों शक्तिशाली देशों के बीच व्यापारिक रिश्ते इतने गहरे हैं कि अब खुलकर पाकिस्तान का पक्ष लेना उनके लिए राजनीतिक और आर्थिक रूप से जोखिम भरा हो सकता है.

Pahalgam Attack: पहलगाम में हुई आतंकी घटना ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को खतरनाक मोड़ पर पहुंचा दिया है. जहां युद्ध के हालात बनते दिख रहे हैं.

पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है, और युद्ध की संभावनाएं भी उभरने लगी हैं. भारत ने सिंधु जल संधि को सस्पेंड किया है, जबकि पाकिस्तान ने भारत के लिए एयरस्पेस बंद कर दिया है. ऐसे में अमेरिका और चीन जैसे बड़े देशों के लिए पाकिस्तान का खुलकर समर्थन करना आसान नहीं होगा, क्योंकि भारत के साथ उनके व्यापारिक रिश्ते बहुत महत्वपूर्ण हो चुके हैं.

भारत और चीन के बीच 2025 में व्यापार 127.7 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है, और चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 99.2 अरब डॉलर तक बढ़ चुका है. वहीं, अमेरिका और भारत के बीच भी बाइलेटरल ट्रेड 100 अरब डॉलर से अधिक है. ऐसे में, भारत को खोने का जोखिम दोनों देशों के लिए काफी बड़ा हो सकता है, क्योंकि वे भारत के विशाल बाजार में अपने कारोबार को बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं.

US-चीन बना भारत का रणनीतिक साझेदार

वर्तमान वैश्विक राजनीति में भारत की भूमिका बेहद अहम हो गई है,खासतौर पर अमेरिका और चीन जैसे देशों के लिए भारत और अमेरिका के बीच जहां ट्रेड सरप्लस है, वहीं चीन के साथ भारत का भारी ट्रेड डेफिसिट है -बावजूद इसके दोनों देशों के लिए भारत एक अनदेखा न किया जा सकने वाला बाजार है.2024-25 में भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार 127.7 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जिसमें चीन से भारत का आयात 113.45 अरब डॉलर और निर्यात मात्र 14.25 अरब डॉलर रहा। वहीं अमेरिका के साथ भी भारत का ट्रेड 100 अरब डॉलर से ऊपर है, जो बताता है कि भारत का आर्थिक महत्व लगातार बढ़ रहा है.ऐसे में किसी भी संभावित युद्ध में खुलकर पाकिस्तान का समर्थन करना अमेरिका और चीन दोनों के लिए बड़े नुकसान का सौदा हो सकता है.

बॉर्डर पर तनाव चरम पर पहुंचा

पहलगाम हमले के बाद भारत ने न केवल कड़ी प्रतिक्रिया दी है, बल्कि कूटनीतिक मोर्चे पर भी पाकिस्तान को घेरना शुरू कर दिया है. भारत ने सिंधु जल संधि को सस्पेंड करने जैसा बड़ा कदम उठाया है, जो पाकिस्तान के लिए जल संकट जैसी स्थिति खड़ी कर सकता है.वहीं जवाबी कदम के रूप में पाकिस्तान ने भारत के लिए अपने एयरस्पेस को बंद कर दिया है. सीमा पर फोर्स की तैनाती बढ़ा दी गई है और दोनों ओर से सख्त बयानबाजी हो रही है. इस टकराव में भले ही चीन की ओर से पाकिस्तान के पक्ष में कुछ आवाजें आ रही हों, लेकिन उसने अब तक कोई आधिकारिक और खुला समर्थन नहीं दिया है.

भारत से टकराने का जोखिम नहीं लेगा चीन

चीन, जो अब तक पाकिस्तान का रणनीतिक साझेदार माना जाता रहा है, इस बार भारत-पाक तनाव के बीच खुलकर सामने आने से बचता नजर आ रहा है. इसका सबसे बड़ा कारण भारत के साथ उसका बढ़ता व्यापारिक रिश्ता है, जो उसे भारत के खिलाफ किसी भी कदम से पहले दस बार सोचने पर मजबूर करता है. वित्त वर्ष 2025 में भारत-चीन व्यापार घाटा 99.2 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है, जो चीन के लिए एक बड़ा व्यापारिक लाभ है.चीन जानता है कि अगर वह भारत के खिलाफ जाता है, तो यह घाटा आने वाले वर्षों में न केवल खत्म हो सकता है, बल्कि भारत वैकल्पिक बाजारों की ओर रुख भी कर सकता है. यही वजह है कि ड्रैगन इस बार जोखिम लेने के मूड में नहीं है.

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