Dhanushkodi: धनुषकोडी एक ऐसा स्थान है जो न केवल इतिहास की गहराइयों में डूबा हुआ है, बल्कि रहस्य, आस्था और प्रकृति की सुंदरता का अद्भुत संगम भी है. यह शहर आज भी हमें यह सिखाता है कि चाहे कितना भी विनाश क्यों न हो, इतिहास और आस्था हमेशा जीवित रहती है.
Dhanushkodi: भारत के तमिलनाडु राज्य में स्थित धनुषकोडी एक ऐसा स्थान है जहाँ इतिहास, धर्म, प्राकृतिक आपदा और रहस्य एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं. कभी एक समृद्ध नगर रहा धनुषकोडी आज एक वीरान खंडहर बन चुका है, जिसे “घोस्ट टाउन” यानी भूतिया शहर भी कहा जाता है. रामायण काल से लेकर 1964 की विनाशकारी चक्रवात तक, धनुषकोडी में ऐसी कई परतें छिपी हैं जो आज भी शोधकर्ताओं, पर्यटकों और आस्था रखने वालों को अपनी ओर खींचती हैं. अगर आपने अभी तक धनुषकोडी नहीं देखा है, तो यह यात्रा आपकी जिंदगी का एक अविस्मरणीय अनुभव हो सकती है. आइए जानते हैं कि क्या है इस रहस्यमयी शहर की कहानी.
रामायण से जुड़ा धार्मिक महत्व
धनुषकोडी का नाम आते ही सबसे पहले रामायण की कथा याद आती है. मान्यता है कि यहीं से भगवान राम ने लंका जाने के लिए समुद्र पर “रामसेतु” यानी “आदम्स ब्रिज” का निर्माण शुरू किया था. आज भी यह स्थान हिन्दू तीर्थयात्रियों के लिए विशेष महत्व रखता है.लोग यहाँ आकर समुद्र के दर्शन करते हैं और आस्था के साथ रेत को प्रणाम करते हैं.
1964 का तूफान: जब पूरी बस्ती उजड़ गई

21-22 दिसंबर, 1964 की रात को आया एक विनाशकारी चक्रवात इस शहर को पूरी तरह तबाह कर गया. इस आपदा में 100 से अधिक लोग मारे गए और रेलवे लाइन समेत पूरी बस्ती जलमग्न हो गई. सरकार ने इस क्षेत्र को “अमानवीय रहने योग्य” घोषित कर दिया और तब से यह शहर वीरान पड़ा है. अब वहां सिर्फ खंडहर, टूटी हुई चर्च, रेलवे स्टेशन और मलबा ही रह गया है.
रहस्य और भूतिया कहानियां

धनुषकोडी को अक्सर “Ghost Town” कहा जाता है. यहां के स्थानीय लोग और कुछ पर्यटक मानते हैं कि रात के समय यहां असामान्य गतिविधियां होती हैं. अंधेरे में भटकती परछाइयां, हवाओं में गूंजती आवाजें और वीरानी का अजीब सा एहसास इस स्थान को रहस्यमय बना देता है. हालांकि, वैज्ञानिक इन बातों को केवल मानसिक भ्रम मानते हैं.
पर्यटन और सरकार की पहल

हाल के वर्षों में सरकार ने धनुषकोडी को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की पहल की है. रामेश्वरम से धनुषकोडी तक एक सड़क बनाई गई है, जिससे अब पर्यटक आसानी से वहां पहुँच सकते हैं. सूर्यास्त के समय समुद्र के किनारे बैठना और खंडहरों को देखना एक अनोखा अनुभव होता है, जिसे शब्दों में बयान करना मुश्किल है.
प्राकृतिक सुंदरता और शांति का अनोखा मेल
धनुषकोडी केवल इतिहास और रहस्य से नहीं, बल्कि अपनी शांतिपूर्ण प्राकृतिक सुंदरता से भी लोगों को आकर्षित करता है. एक ओर लहरों की गूंज, दूसरी ओर खामोश खंडहर- यह विरोधाभास इसे बेहद खास बनाता है. फ़ोटोग्राफ़र्स, लेखकों और आध्यात्मिक खोज में लगे लोगों के लिए यह एक स्वर्ग के समान है.
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