भारत ने कहा कि 1960 की सिंधु जल संधि तत्काल प्रभाव से स्थगित रहेगी, जब तक कि पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देना त्याग नहीं देता.
New Delhi: कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए घातक आतंकवादी हमले के बाद कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए भारत ने बुधवार को पाकिस्तान के खिलाफ कई दंडात्मक उपायों की घोषणा की. इस हमले में 26 भारतीय पर्यटक मारे गए थे. इसके बाद मोदी सरकार ने सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया.
पाकिस्तान के तारबेला और मंगल हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट पर भी पड़ेगा असर
सिंधु जल समझौता स्थगित होने से पाकिस्तान को काफी नुकसान होगा. क्योंकि पाकिस्तान की 90 फीसदी जमीन पर खेती होती है. खेती के लिए किसानों को पानी इसी नदी से मिलता है. खेती से पाकिस्तान की राष्ट्रीय आय में होने वाले 23 फीसदी योगदान पर भी असर हो सकता है. मालूम हो कि पाक की 68 फीसदी ग्रामीण खेती पर आश्रित हैं. इसके अलावा सिंधु के पानी में भारत की ओर से कटौती करने पर पाकिस्तान के तारबेला और मंगल हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट पर असर होगा. समझौते के तहत 20 फीसदा भारत और 80 परीसदी पानी पाकिस्तान को जाता है.
19 सितबंर 1960 को किए गए थे सिंधु जल समझौते पर हस्ताक्षर
19 सितबंर 1960 को सिंधु जल समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे. समझौते में 6 नदियां थीं. जिनमें तीन पश्चिमी नदियां सिंधु, झेलम और चिनाब तथा तीन पूर्वी नदियां व्यास, रावी और सतलज हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में दो घंटे से अधिक समय तक चली उच्चस्तरीय सुरक्षा समिति की बैठक के बाद विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने सरकार के फैसलों के बारे में मीडिया को जानकारी दी. मिसरी के अनुसार, सीसीएस को दी गई ब्रीफिंग में आतंकवादी हमले के सीमा पार संबंधों को उजागर किया गया. यह ध्यान दिया गया कि यह हमला केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में सफलतापूर्वक चुनाव आयोजित होने, आर्थिक वृद्धि और विकास की दिशा में इसकी निरंतर प्रगति के मद्देनजर हुआ. इस आतंकवादी हमले की गंभीरता को समझते हुए सीसीएस ने पाकिस्तान के खिलाफ पांच उपायों पर निर्णय लिया.
विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुआ था यह ऐतिहासिक समझौता
सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) भारत और पाकिस्तान के बीच एक ऐतिहासिक जल-साझाकरण समझौता है, जिसमें विश्व बैंक द्वारा मध्यस्थता की गई है, जो सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के पानी के उपयोग को नियंत्रित करता है. कराची में भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तानी राष्ट्रपति अयूब खान ने इस समझौते पर सितंबर 1960 में हस्ताक्षर किया था.

संधि की निगरानी करने के लिए स्थायी सिंधु आयोग (PIC) का गठन
संधि की शर्तों के तहत भारत को पूर्वी नदियों- ब्यास, रावी और सतलुज के जल पर विशेष नियंत्रण प्राप्त है, जबकि पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों- सिंधु, चिनाब और झेलम पर नियंत्रण दिया गया है. संधि इन जल संसाधनों के निष्पक्ष और प्रभावी उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए दोनों देशों के बीच सहयोग और सूचना साझा करने के लिए एक ढांचा स्थापित करती है. संधि की प्रस्तावना सद्भावना, मित्रता और सहयोग की भावना से सिंधु प्रणाली के जल का इष्टतम उपयोग करने के लिए दोनों देशों के आपसी अधिकारों और दायित्वों पर जोर देती है. जबकि भारत को सिंचाई के लिए पश्चिमी नदियों के सीमित उपयोग की अनुमति है, उसके पास गैर-उपभोग्य उपयोग जैसे जल विद्युत उत्पादन, नेविगेशन, संपत्ति की तैराकी और मत्स्य पालन गतिविधियों के लिए अप्रतिबंधित अधिकार हैं. संधि को लागू करने और निगरानी करने के लिए, स्थायी सिंधु आयोग (PIC) का गठन किया गया.
आयोग नदी प्रणालियों का अध्ययन करता है. जल विज्ञान संबंधी आंकड़ों के आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करता है तथा पारदर्शिता और अनुपालन सुनिश्चित करता है. पीआईसी विवादों को सुलझाने के लिए पहले मंच के रूप में कार्य करता है, जिसका उद्देश्य द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से असहमति को सुलझाना है. यदि समाधान नहीं होता है, तो मामले को किसी तटस्थ विशेषज्ञ या मध्यस्थता न्यायालय में भेजा जा सकता है.

पाकिस्तानी नागरिक को भारत छोड़ने के लिए दिया गया 48 घंटे का समय
पहलगाम हमले के बाद भारत में रह रहे किसी भी पाकिस्तानी को भारत छोड़ने के लिए 48 घंटे का समय दिया गया है. भारत में अमृतसर और पाकिस्तान में लाहौर के बीच स्थित अटारी-वाघा सीमा नागरिकों और पर्यटकों दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण भूमि क्रॉसिंग पॉइंट के रूप में कार्य करती है. दैनिक ‘बीटिंग रिट्रीट’ समारोह एक प्रमुख आकर्षण है, जो काफी भीड़ खींचता है. सप्ताह के दिनों में लगभग 15 हजार आगंतुक हर दिन समारोह में भाग लेते हैं. सप्ताहांत और राष्ट्रीय छुट्टियों पर उपस्थिति लगभग 25 हजार दर्शकों तक बढ़ सकती है. पर्यटन से परे अटारी-वाघा सीमा भारत और पाकिस्तान के बीच नागरिकों के क्रॉसिंग की सुविधा प्रदान करती है. सीमा दोनों देशों के बीच व्यापार में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. भारतीय भूमि बंदरगाह प्राधिकरण के अनुसार, 2023-24 में इस क्रॉसिंग पर कुल व्यापार 3,886.53 करोड़ रुपये तक पहुंच गया. पिछले कुछ वर्षों में द्विपक्षीय संबंधों और नीतिगत निर्णयों से प्रभावित होकर व्यापार की मात्रा में उतार-चढ़ाव आया है.
उच्चायोग से बुलाए जाएंगे कर्मचारी
सेवा सलाहकारों के पांच सहायक कर्मचारियों को भी दोनों उच्चायोगों से वापस बुलाया जाएगा.जिसे दो दक्षिण एशियाई पड़ोसियों के बीच राजनयिक संबंधों में एक महत्वपूर्ण कटौती के रूप में देखा जा सकता है. भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद अपनी पाकिस्तान नीति में एक साहसिक बदलाव का विकल्प चुना है, जिसमें इस्लामाबाद को कूटनीतिक और आर्थिक रूप से अलग-थलग करने के लिए अभूतपूर्व कदम उठाए गए हैं.
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