Baobab Tree: इसका वैज्ञानिक नाम एडनसोनिया है, और इसकी आठ प्रजातियां हैं. इस वृक्ष की सबसे खास बात है इसका विशाल तना, जो 30 फीट तक चौड़ा हो सकता है.
Baobab Tree: आपने दुनिया में कई अजीब-ओ-गरीब पेड़ पौधे देखे होंगे. भारत में भी पेड़ पौधों में गजब की विविधता नजर आती है. लेकिन विविधता के मामले में अफ्रीका दुनिया में सबसे आगे है. यहां मानवता का विकास हुआ, यहां दुनिया के पहले मानवों के कदम पड़े. यहीं पर है दुनिया का सबसे अजीब पेड़ जिसमें 1 लाख लीटर पानी स्टोर रह सकता है और जिसके तने में एक साथ करीब 40 लोग भी रह सकते हैं. इस पेड़ का नाम है बाओबाब ट्री. आज हम आपको इस अजीब-ओ-गरीब पेड़ के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे.
स्टोर कर सकता है 1 लाख लीटर तक पानी
बाओबाब का बाओबाब का वैज्ञानिक नाम एडनसोनिया है, और इसकी आठ प्रजातियां हैं. इस वृक्ष की सबसे खास बात है इसका विशाल तना, जो 30 फीट तक चौड़ा हो सकता है. इसका तना पानी संग्रह करने की अद्भुत क्षमता रखता है, जिससे यह शुष्क मौसम में भी जीवित रहता है. एक परिपक्व बाओबाब अपने तने में 1,00,000 लीटर तक पानी जमा कर सकता है, जो इसे सूखाग्रस्त क्षेत्रों में जीवन रक्षक बनाता है.
2000 साल से भी अधिक जी सकता है ये वृक्ष
स्थानीय समुदाय इसे पानी के स्रोत के रूप में उपयोग करते हैं, और इसके फल, जिन्हें “मंकी ब्रेड” कहा जाता है, विटामिन सी से भरपूर होते हैं. बाओबाब की आयु भी हैरान करने वाली है. कुछ बाओबाब वृक्ष 2,000 साल से अधिक पुराने हैं, जो उन्हें पृथ्वी पर सबसे लंबे समय तक जीवित रहने वाले पेड़ों में से एक बनाता है. दक्षिण अफ्रीका के एक प्रसिद्ध बाओबाब, जिसे “सनलैंड बाओबाब” कहा जाता है, पर्यटकों के बीच खासा लोकप्रिय है। हालांकि, जलवायु परिवर्तन और मानवीय गतिविधियों के कारण इन प्राचीन वृक्षों को खतरा बढ़ रहा है. हाल के वर्षों में, कई पुराने बाओबाब वृक्षों के गिरने की खबरें सामने आई हैं, जिसने वैज्ञानिकों को चिंतित कर दिया है.
बाओबाब के रेशों से रस्सियां और कपड़े बनाए जाते हैं
बाओबाब का सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व भी कम नहीं है. अफ्रीकी समुदायों में इसे पवित्र माना जाता है और इसे सामाजिक समारोहों के लिए उपयोग किया जाता है. इसके रेशों से रस्सियां और कपड़े बनाए जाते हैं, जबकि छाल का उपयोग औषधीय प्रयोजनों के लिए होता है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में बाओबाब के फल और तेल की मांग बढ़ रही है, क्योंकि ये सुपरफूड के रूप में पहचाने गए हैं. यह स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन बन गया है, लेकिन अत्यधिक दोहन से इसके अस्तित्व पर खतरा भी मंडरा रहा है.
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