- Reported by Shailendra Sharma
भाजपा की चुनावी नैया पार लगाने वाले श्री रामलला को अब कांग्रेस अपने तारणहार बनाने की कोशिश में जुट गई है. अलवर के एक राम मंदिर में राज्य विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस नेता टीकाराम जूली की प्रवेश के बाद गंगाजल के छिड़काव को पार्टी अब राष्ट्रीय मुदृदा बनाने में जुट गई है.
Jaipur: भाजपा की चुनावी नैया पार लगाने वाले श्री रामलला को अब कांग्रेस अपने तारणहार बनाने की कोशिश में जुट गई है. अलवर के एक राम मंदिर में राज्य विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस नेता टीकाराम जूली की प्रवेश के बाद गंगाजल के छिड़काव को पार्टी अब राष्ट्रीय मुदृदा बनाने में जुट गई है. कांग्रेस इस मामले को जहां अपने नेता नहीं बल्कि दलित नेता के राममंदिर में प्रवेश और भाजपा नेता के द्वारा गंगाजल के छिड़काव को पवित्र करने की मानसिकता बताने की कोशिश कर रही है.
वहीं भाजपा ने इस मामले को लेकर विवादों में घिरे पार्टी के वरिष्ठ नेता ज्ञानदेव आहूजा को पार्टी से निलंबित करते हुए तीन दिन में स्पष्टीकरण नोटिस से अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश में हैं . जहां कांग्रेस ने पार्टी के अहमदाबाद अधिवेशन से इस मामले को हवा देना शुरू कर दिया है. अधिवेशन में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने इस मुदृदे को विशेष तौर से जोर शोर से उठाया, वहीं अब अधिवेशन के खत्म होते ही राहुल गांधी का रणथंभौर के बहाने राजस्थान पहुंचना कुछ ओर ही कहानी कह रहा है.

गौरतलब है कि कांग्रेस नेता और सदन में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली रामनवमी के दिन रामलला मंदिर के एक कार्यक्रम में गए थे. अगले दिन भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा ने मंदिर में गंगाजल छिड़ककर पवित्र किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि यह मंदिर कांग्रेसी नेता के आने से अपवित्र हो गया. क्योंकि कांग्रेस के नेताओं ने रामंदिर की रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का बहिष्कार किया और उनके अस्तित्व पर सवाल खड़ा किया था.
अब इस पर सियासत छिड़ने के बाद जैसे कांग्रेस के हाथ कोई बड़ा मुदृदा लग गया हो. कांग्रेस के अधिवेशन में राहुल गांधी ने भाजपा पर जमकर निशाना साधा और मंच से विशेष रुप से ‘जूली’ को आवाज लगाकर बुलाया. अब देखना यह होगा कि कांग्रेस अपने इस मुदृदे को कहां तक ले जा पाती है, यह तो आने वाला समय ही बताएगा. लेकिन राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली के राजनीतिक करियर के लिए यह रामनवमी एक टर्निंग प्वाइंट हो सकती है.
कांग्रेस के अधिवेशन में टीकाराम जूली का नाम प्रमुखता से उभरा, नेताओं की उड़ी नींद
अहमदाबाद में कांग्रेस के अधिवेशन में टीकाराम जूली का नाम जिस प्रमुखता से उभरा है वह बड़े-बड़े नेताओं की नींद उड़ाने के लिए काफी है. कांग्रेस के हर बड़े नेता राहुल गांधी से लेकर मल्लिकार्जुन खरगे तक, उनका ही नाम ले रहे हैं. टीकाराम जूली को अब पूरा देश राजस्थान के एक प्रमुख नेता के तौर पर पहचान रहा है. कांग्रेस के पास दरअसल एक बहुत बड़ा अवसर है और टीकाराम जूली तुरूप के इक्के साबित हो सकते हैं. विधायक ज्ञान देव आहूजा के निशाने पर भले ही कांग्रेस के नेता रहे हों लेकिन कांग्रेस ने इसे एक अवसर के तौर पर लिया और इसे एक दलित का अपमान बताया है.
अब कांग्रेस के पास एक और बड़ा खेल करने का अवसर है. कांग्रेस चाहे तो टीकाराम जूली को लोकतंत्र के मंदिर यानी विधानसभा के मुखिया के तौर पर प्रोजेक्ट करके पूरा खेल बदल सकती है लेकिन इस पर कायम भी रहना पड़ेगा. टीकाराम जूली एक काबिल नेता है. पहले गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री रहते हुए और अब नेता प्रतिपक्ष रहते हुए उन्होंने अपनी काबिलियत को साबित किया है. राहुल गांधी का पार्टी के अधिवेशन के बाद अहमदाबाद से सीधे रणथंभौर आना भी पार्टी के इरादों की ओर इशारा करता है. लेकिन जहां राजस्थान में पहले गहलोत वर्सज पायलट था. वहीं अब डोटासरा वर्सज जूली होने की वजह से पार्टी इस मुदृदे को कितना भुना पाती है, इस पर संशय है. बस, कांग्रेस नेतृत्व को उनके नाम पर खेलना होगा, जिससे काफी हद तक पार्टी को फायदा मिल सकता है.
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