'लिया जो उस की निगाहों ने जाएजा मेरा...' पढ़ें मुजफ्फर वारसी के शानदार शेर.
वतन की रेत जरा एड़ियां रगड़ने दे, मुझे यकीं है कि पानी यहीं से निकलेगा.
हर शख्स पर किया न करो इतना ए'तिमाद, हर साया-दार शय को शजर मत कहा करो.
जभी तो उम्र से अपनी जियादा लगता हूं, बड़ा है मुझ से कई साल तजरबा मेरा.
पहले रग रग से मिरी खून निचोड़ा उस ने, अब ये कहता है कि रंगत ही मिरी पीली है.
मैं अपने घर में हूं घर से गए हुओं की तरह, मिरे ही सामने होता है तज्किरा मेरा.
लिया जो उस की निगाहों ने जाएजा मेरा, तो टूट टूट गया खुद से राब्ता मेरा.